KatiharNews : कटिहार. विपरीत जलवायु में जिले के तीन किसान सेब की खेती कर प्रेरणा बन गये.कोढ़ा के दिघरी में प्रकाश चौधरी 40 पेड़, भटवाड़ा के अजित कुमार 100 पेड़ व कोढ़ा के ही उदय 30 पेड़ों से सेब की सुरक्षित खेती कर रहे हैं. इससे दूसरे किसान प्रभावित हो रहे है. जिले की जलवायु के अनुसार सेब के पांच प्रभेदों की खेती सुरक्षित है. वैसे तो सेब की खेती शीतोष्ण जलवायु का फल है. यह ठंडे क्षेत्रों में उगाये जाने वाली फसल है.
सितंबर माह में शुरू होगी हार्वेस्टिंग
कटिहार जिले की जलवायु आधारित हो रही पांच प्रभेदों की सेब की खेती में फलन शुरू हो गया है. इसका जायजा पदाधिकारियों ने नियमित रूप से लिया जा रहा है. सहायक निदेशक शष्यप्रक्षेत्र कटिहार सह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी मनिहारी सुदामा ठाकुर, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी कटिहार रंजीत झा ने संयुक्त रूप से सभी तीनों जगहों का जायजा लिया है. पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से बताया कि सेब की पांच प्रभेद की सुरक्षित खेती से दूसरे किसान भी प्रभावित हो रहे हैं. पांच प्रभेद में हरमनन, अन्जा, डारसेट, गोल्डेन, माइमल समेत अन्य प्रभेद के सेब के पौधे लगाया गया है. अब इनका फलन शुरू हो गया है. हार्वेस्टिंग सितंबर माह में शुरू किया जाना है.
अधिकारी ने कहा, खेती है सुरक्षित
सहायक निदेशक शष्यप्रक्षेत्र कटिहार सह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी मनिहारी सुदामा ठाकुर ने बताया कि सेब की खेती या बागवानी के लिए गहरी उपजाऊ दोमट मिट्टी जरूरी है. इसमें जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए. इनका पीएच मान पांच से 6.5 के बीच हो उपयुक्त होता है. कम से कम 1.5 से दो मीटर की गहराई तक कोई कठोर चट्टान न हो, यह जरूरी है. ताकि जड़ आसानी से फैल सके और उसमें वृद्धि हो सके. बावजूद इन सभी पांच प्रभेदों के सेब की फसल सुरक्षित है. जिले की जलवायु के अनुसार बेहतर फलन हो रहा है.
अधिकारियों ने केले की बेहतर खेती को किया जागरूक
पानी के सही इस्तेमाल से केला में लगने वाला पनामा बिल्ट का प्रभाव कम होगा. केला में अधिक पानी पटवन से यह रोग लग रहा है. खेती की पद्धति बदलने से फसल उन्नत होगी और किसान मालामाल होंगे. जल के एक-एक बूंद से उत्पादन अधिक होगा. हर खेत तक सिचाई का पानी के तहत सूक्ष्म सिंचाई योजनान्तर्गत किसानों को अस्सी प्रतिशत अनुदान का लाभ वित्तीय वर्ष 1024-25 में मिलेगा. किसानों को इस पद्धति से खेती करने और ड्रिप सिंचाई पद्धति का लाभ किसानों को मिल पाये. इसका ध्यान जरूरी है. केले की फसल में लगने वाले रोग व कीटों से काफी प्रभावित होता है. अगर सही समय पर प्रबंधन न किये जाये तो भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
ड्रिप सिंचाई से लगभग साठ प्रतिशत जल की बचत
पनामा विल्ट केवल बिहार ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में केले की फसल के लिए काफी नुकसानदायक सिद्ध हो रही है. सही पटवन से इसका प्रभाव कुछ हद तक प्रभाव कम किया जा सकता है. उद्यान विभाग के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की माने तो ड्रिप सिंचाई से लगभग साठ प्रतिशत जल की बचत, 25-35 प्रतिशत उत्पादन अधिक बढ़ने की संभावनाओं के साथ 25-30 प्रतिशत उर्वरक की खपत में कमी, 30-35 प्रतिशत लागत में कमी के साथ बेहतर गुणवत्ता का उत्पाद निश्चित है. सूक्ष्म सिंचाई योजना के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया से किसानों को गुजरना होगा. इसके लिए किसान द्वारा डीबीटी पोर्टल पर निबंध करा इससे लाभान्वित हो सकते हैं.
शीघ्र आएं, ड्रिप पर 80 प्रतिशत अनुदान का उठाएं लाभ
विभागीय पदाधिकारियों की माने तो हर खेत तक सिंचाई का पानी के तहत सूक्ष्म सिंचाई योजनान्तर्गत अस्सी प्रतिशत अनुदान से कम लागत में किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं. साथ ही मुफ्त सामूहिक नलकूप योजना से लघु व सीमांत कृषकों के लिए ड्रिप सिंचाई के साथ साथ 25 हेक्टेयर के समूह कम से कम पांच किसानों के लिए शत प्रतिशत अनुदान पर शर्तों के साथ सामूहिक नलकूप का प्रावधान है.
खेती की पद्धति व पानी के सही इस्तेमाल की जरूरत
कटिहार के उद्यान पदाधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा कि केला किसानों को पनामा विल्ट नामक घातक बीमारी से जूझना पड़ रहा है. खेती की पद्धति बदलने व पानी के सही सही इस्तेमाल से ही कुछ हद तक इसका प्रभाव कम हो सकता है. एक- एक बूंद से उत्पादन अधिक होगा. हर खेत तक सिचाई का पानी के तहत सूक्ष्म सिंचाई योजनान्तर्गत किसानों को अस्सी प्रतिशत अनुदान का लाभ वित्तीय वर्ष 2024-25 में मिलेगा.