एडी खुशबू, कोढ़ा
यह सुनकर आपको शायद ताज्जूब होगा कि जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के एक बगीचे में लगे कुछ आम के पेड़ों पर ऐसे आम लदे हैं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो से ढाई लाख रुपये प्रति किलो कीमत है. इस वर्ष पेड़ों पर काफी बहुतायत संख्या में फल आये हैं. यही कारण है कि बगान का मालिक इस आम की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से कर रहे हैं. दरअसल, जापानी नस्ल का मियाजाकी आम जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के खेरिया ग्राम निवासी एमआइटी डिग्रीधारी प्रशांत चौधरी के बगीचे में अपनी शोभा बढ़ा रहे हैं. प्रशांत चौधरी इससे पूर्व दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी करते थे. लेकिन उनके हृदय में बेहतर बागवानी करने की अभिलाषा पल रही थी. अपनी अभिलाषा को मूर्त रूप देने के लिए प्रशांत एक अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने गांव लौट आये. उनके अंदर बागवानी करने की जिज्ञासा और गांव की माटी की सौंधी महक उन्हें अपने गांव लौटने के लिए विवश कर दिया. गांव लौटने पर उन्होंने अपनी 15 एकड़ जमीन में विभिन्न प्रकार के अच्छे-अच्छे नस्लों व उम्दा प्रजाति के पेड़-पौधे लगाये और बागवानी में रम गये. उनके बगीचे में अमरूद, पपीता, सेव, मौसमी, नींबू, संतरा, इलायची, अगरवुड के अलावा मियां जाकी आम के पेड़ लगे हुए हैं. मियां जाकी आम इनके बाग में अपनी कई विशेषताओं को लेकर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.जापान के एक शहर के नाम पर इसका नाम पड़ा मियाजाकी
प्रशांत चौधरी बताते हैं कि जापान के एक शहर का नाम मियाजाकी है. जहां यह आम का फल उगाया जाता है. इसी कारण इस आम का नाम इस शहर के नाम पर पड़ा. उन्होंने बताया कि यह आम कई मायनों में खास है. इसमें बीटा- कैरोटीन और फोलिक एसिड जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं. जबकि उसमें शुगर 15% या उससे अधिक होती है. इस तरह की खेती के लिए तेज धूप और अधिक बारिश उपयुक्त माना जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह आम दो से ढाई लाख रुपये प्रति किलो बिकता है. इसलिए इसकी निगरानी सीसीटीवी कैमरे से करनी पड़ती है. विशेष बात यह कि इसकी खेती में रासायनिक खाद का नहीं बल्कि जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं. बताया कि जापानी नस्ल के इतनी कीमती आम कटिहार जिले के कोढ़ा की मिट्टी में लगाकर उसे सफलतापूर्वक उपजा लेना मायने रखता है.विदेशी दवा कंपनी को बेचेंगे आम, स्थानीय बाजार में नहीं मिलता दाम
एमआइटी डिग्री प्राप्त प्रशांत चौधरी ने बताया कि उनके बगीचे में मियाजाकी नामक आम के पांच पेड़ लगाये गये हैं. इस वर्ष फल भी बेहतर आये हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष पेड़ों पर कम फल आये थे. इस वजह से उसे इंटरनेशनल बाजार में नहीं भेजा जा सका था. स्थानीय बाजार में ही बेच दिया था. जिस हिसाब से उन्हें कीमत मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली थी. इस वर्ष विदेश की एक दवा कंपनी से बात हुई है. वह आम इस बार खरीदेंगे. उन्होंने बताया कि अभी मियाजाकी आम का पेड़ छोटा होने के कारण एक पेड़ में 50 से साठ किलो आम होने की उम्मीद है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है