सरोज कुमार, कटिहार. बीएनएमयू मधेपुरा से अलग पूर्णिया विवि बनने के बाद जो छात्र-छात्राओं को सुविधा मिलना चाहिए, नहीं मिलने से परेशान हैं. ऐसा इसलिए कि पीयू के 18 मार्च 2018 स्थापना के पूर्व के कई सत्रों का करीब एक लाख, चार हजार, पांच सौ छात्र-छात्राओं का अब तक मूल प्रमाण पत्र कॉलेज में नहीं भेजे जाने के कारण छात्रों के बीच हाहाकार की स्थिति है. अधिकांश छात्र मूल प्रमाण पत्र के लिए कभी कटिहार कॉलेज, पूर्णिया विवि तो कभी बीएनएमयू मधेपुरा का चक्कर काटने को विवश हो रहे हैं. जिले के चार अंगीभूत महाविद्यालयों में केबी झा कॉलेज, एमजेएम महिला कॉलेज, डीएस कॉलेज, आरडीएस कॉलेज सालमारी में केवल 2010-14 तक के छात्रों का मूल प्रमाण पत्र कॉलेज में भेजा गया है. इतना ही नहीं इससे पूर्व 1995 से 2009 तक इन सभी कॉलेजों में छात्र- छात्राओं का मूल प्रमाण पत्र नहीं भेजने के कारण छात्र कॉलेज में आवेदन जमा करने के बाद बैरंग लौट रहे हैं. अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विक्रांत सिंह, रवि सिंह, राजा यादव समेत अन्य का कहना है कि उक्त सत्र के अधिकांश छात्र मूल प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे हैं. केबी झा कॉलेज में कोई ऐसा दिन नहीं होता जिस दिन छात्र उक्त समय का मूल प्रमाण पत्र के लिए कॉलेज प्राचार्य से आवेदन अग्रसारित नहीं कराते हैं. इसके बाद भी बीएनएमयू की ओर से इस पर संज्ञान नहीं लिये जाने से कई विभागों में नियुक्ति के बाद भी मूल प्रमाण पत्र के लिए परेशान होना पड़ रहा है. मूल प्रमाण पत्र लेने आने वाले छात्रों का यह भी कहना है कि नामांकन के समय ही उनलोगों से मूल प्रमाण पत्र के नाम पर राशि जमा लिया गया था. अब चालान के नाम पर उससे भी अधिक राशि वसूली जा रही है. इसके बाद भी समय पर मूल प्रमाण पत्र के लिए यत्र तत्र भटकने तक की नौबत आ जा रही है.
केवल डीएस कॉलेज का 31500 मूल प्रमाण पत्र लंबित
डीएस कॉलेज के प्रधान सहायक प्रदीप कुमार की माने तो डीएस कॉलेज का 1995-2009 तक के 15 सत्र के करीब 22500 छात्र- छात्राओं का मूल प्रमाण पत्र विवि में लंबित है. जबकि 2015 से 2020 के छह सत्र का नौ हजार कुल मिलाकर 31500 छात्र- छात्राओं का मूल प्रमाण पत्र अब तक बीएनएमयू से कॉलेज में नहीं भेजा गया है. सूत्रों की माने तो इसी तरह एमजेएम कॉलेज की 31500 छात्राओं का उक्त सत्र का मूल प्रमाण पत्र नहीं उपलब्ध कराया गया. केबी झा कॉलेज का भी उक्त सत्र में 32 हजार एवं आरडीएस कॉलेज सालमारी के उक्त सत्र का अब तक 10 हजार के करीब मूल प्रमाण पत्र कॉलेज में उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिससे प्रतिदिन पूर्ववर्ती छात्र- छात्राएं मूल प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं. कॉलेज में सटीक जानकारी नहीं रहने के कारण कई छात्रों को समय पर काम नहीं हाेने के कारण सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी हाथ से निकल जा रही है या फिर अधिक राशि जमा कर मूल प्रमाण पत्र निर्गत करने की विवशता बन जाती है.
कहते हैं बीएनएमयू के कुलसचिव
वे अभी कुलसचिव के पद पर अभी नये हैं. कई सत्रों का एक लाख, चार हजार, पांच सौ छात्र-छात्राओं का किन परिस्थितियों में मूल प्रमाण पत्र कॉलेज नहीं भेजा गया है. इसकी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. बहरहाल यह मामला काफी गंभीर है. इसको गंभीरता से लिया जायेगा. हर हाल में छात्रों को मूल प्रमाण पत्र उपलब्ध हो सके. इसको लेकर विराट प्रयास किया जायेगा.
डॉ बिपिन रॉय, कुलसचिव, बीएनएमयू, मधेपुराडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है