कटिहार. दीपावली व लोक आस्था का महापर्व छठ को स्वच्छता के नजरिये से भी देखा जाता है. दोनों पर्व में साफ-सफाई व स्वच्छता के लिए लोग क्या क्या नहीं करते है. लेकिन त्योहार समाप्त होते ही हर तरफ गंदगी व कचड़ा पसर गया है. शहर के न्यू मार्केट रोड पर फैले गंदगी व कचड़ा की सफाई अबतक नहीं हुई. इस रोड पर कचड़ा व गंदगी की स्थिति ऐसी है कि आमलोगों के आना जाना मुश्किल है. अत्यधिक जरूरी पड़ने पर लोग नाक ढककर ही इस रोड से गुजरते है. कमोवेश यही स्थिति बड़ा बाजार व अन्य बाजार-प्रमुख पथों की है. दूसरी तरफ छठ के बाद नदीं, तालाब व पोखर की स्थिति में देखने लायक है. दरअसल छठ पर्व संपन्न होने के बाद सभी प्रमुख छठ घाटों की स्थिति देखते ही बनता है. छोटे बड़े सभी छठ घाट गंदगी से भरा पड़ा हुआ है. जिस तरह छठ पर्व को लेकर एक पखवारे से लोग छठ घाट व नदी, तालाब की साफ-सफाई करने में जुटे थे. छठ पर्व समाप्त होते ही उसकी विपरीत स्थिति देखने को मिल रहा है. केंद्र व राज्य सरकार की ओर से चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान के बावजूद छठ घाट नदी, तालाब एवं पोखर को साफ-सुथरा नहीं रखा गया. यह अच्छा मौका था कि छठ पर्व के बहाने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के नदी, तालाब, पोखर आदि की साफ सफाई हो गयी. लेकिन इसे बरकरार नहीं रखा जा सका. इसके लिए जितना दोषी प्रशासन है. उतना दोषी समाज के लोग भी है. छठ पर्व सम्पन्न होने के बाद शहर के कई घाटों का जायजा लेने पर यही पाया कि अधिकांश घाट व पोखर, नदी, तालाब की स्थिति खराब थी. छठ पर्व में घाट में लगाये गये केला के थम्ब को उसी नदी, तालाब में बहा दिया गया. साथ ही घाट पर पड़े हुए अन्य अपशिष्ट पदार्थों को भी नदी, तालाब, पोखर के हवाले कर दिया गया. इससे गंदगी चारों ओर फैल गयी. जल पूरा प्रदूषित की तरह दिखने लगा है. कमोवेश ऐसी स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों की भी है. समाज में इस बात की भी बहस होनी चाहिए कि जलस्रोतों वाले जगह यानी नदी, तालाब, पोखर आदि को स्वच्छ क्यों नहीं रखा जा सकता है. शासन प्रशासन के साथ साथ समाज को भी इस बारे में सोचना पड़ेगा. लेकिन छठ पर्व के बाद जो स्थिति बनी है. वह निश्चित रुप से जागरुक समाज के लिए कई सवाल पैदा करती है.
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