कटिहार. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शक्ति, दिशा, अपराजिता जैसे कठोर कानून को केन्द्र सरकार बीएनएस में क्यों नहीं शामिल कर रही है. महिला विकास मंच की जिला अध्यक्षा रश्मि कुणाल ने महिला विकास मंच का बैठक आयोजित कर यह सवाल केंद्र सरकार से की है. उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश में वर्ष 2019 में बना दशा, महाराष्ट्र में शक्ति 2020 अब पश्चिम बंगाल में मोमिता का लोमहर्षक हत्या के बाद बना अपराजिता कानून जैसे कठोर सजा का प्रावधान भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में शामिल करना चाहिए. अविलंब अनुसंधान एवं महिला उत्पीड़न के लिए देश में अलग से न्यायिक बेंच होनी चाहिए. यह मांग महिलाओं को लेकर सड़क पर होगा. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू एक सशक्त महिला हैं. बावजूद दिशा शक्ति एवं अपराजिता जैसे कानून देश में लागू नहीं होता है तो इससे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बाते क्या होगी. देश के चारों ओर महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. देश में दुधमुही बच्चियां तक सुरक्षित नहीं हैं. रश्मि कुणाल ने कहा कि दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, मणिपुर हो या पश्चिम बंगाल की महिला उन्हें राजनीतिक भेदभाव के आधार पर बांट कर इंसाफ की बात करना शर्मनाक है. जिस तरह से पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष एक होकर महिलाओं को लेकर कानून लाया है. उसी तरह लोक सभा एवं राज्य सभा में भी सभी को एक होना होगा. उन्होंने बताया कि महिला विकास मंच इस मुद्दे पर आंदोलन चलाने को लेकर रणनीति बना रही है. इस अवसर पर जिला सचिव रखी यादव, कुहिली डे, संगीता सिंह, अंजली देवी, मधु भारती, सोनी जायसवाल, शेख सिबा अली, रंजिता रंजन, चंपा प्रसाद, सोनी सिंह आदि महिलाएं शामिल थी.
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