प्रतिनिधि, खगड़िया बगैर बंटवारा किये किसी हिस्सेदार द्वारा जमीन बेचे जाने के कारण अक्सर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. खून-खराबा, थाना- पुलिस से लेकर न्यायालय तक जाने की नौबत आ जाती है. इसको लेकर विभाग गंभीर है. अगर बिना बंटवारा किये कोई हिस्सेदार जमीन बिक्री करते हैं, तो उस जमीन म्यूटेशन ( दाखिल-खारीज) रूक जायेगी. अपर समाहर्ता आरती ने बताया कि संयुक्त जमाबंदी वाले जमीन यानि एक व्यक्ति से अधिक लोगों के नाम से चल जमाबंदी वाली जमीन अगर कोई हिस्सेदार बेचते हैं, तो उक्त जमीन के दाखिल-खारीज के दौरान सभी हिस्सेदारों की सहमति लेना अनिवार्य होगा. अन्यथा म्यूटेशन प्रभावित हो जाएंगे. बता दें कि जमीन विवाद कम करने को लेकर राज्य स्तर से एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किये गए हैं. विभाग के वरीय पदाधिकारी का यह मानना है कि प्रायः संयुक्त जमाबंदी वाली जमीन की बिक्री लोग बिना बंटवारा किये ही कर देते हैं. जिसके कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में म्यूटेशन के दौरान सभी हिस्सेदारों की सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है.
राजस्व व भूमि सुधार विभाग द्वारा ई- म्यूटेशन सॉफ्टवेयर में किये गए परिवर्तन के बाद पुरानी कई व्यवस्था बदल जायेगी. अब ऑनलाइन आवेदन जमा करने क बाद आवेदक को एक टोकन नंबर मिलेंगे. इस टोकन नंबर के जरिये आवेदक इस बात का पता कर पाएंगे कि कितने नंबर वाले आवेदन का निष्पादन हुआ है तथा उनका नंबर कब आएगा. बता दें कि पूर्व में आवेदन के बाद सिर्फ आवेदन संख्या मिलती थी. लेकिन नये मॉडल में आवेदन के साथ ही आवेदक को एक टोकन नंबर भी मिलेगा. गौरतलब है कि सभी जिलों में 2018 से ही जमीन के ऑन लाइन म्यूटेशन यानि दाखिल-खारीज की प्रक्रिया जारी है. जमीन के म्यूटेशन में बाबुओं मनमानी, लापरवाही, गड़बड़ी रोकने सहित दाखिल-खारीज की संपूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए हाल के कुछ वर्षों में राजस्व व भूमि सुधार विभाग द्वारा कई आदेश/व्यवस्था व ई- म्यूटेशन सॉफ्टवेयर में बदलाव किये गए हैं. जिसमें विभाग द्वारा तय समय- सीमा के भीतर जमीन के दाखिल-खारीज आवेदन का निष्पादन करने, आवेदन अस्वीकृत करने के पूर्व आवेदक का पक्ष सुनने, स्पष्ट कारण बताकर दाखिल- खारिज आवेदन को अस्वीकृत करने, फीफो यानि “फस्ट इन फस्ट आउट ” तथा ऑड ईवन लागू करना आदि शामिल है.
त्रुटि सुधार के नाम पर सीओ पेंडिंग नहीं रख पायेंगे आवेदन
ऑनलाइन म्यूटेशन के लिए प्राप्त होने वाले आवेदन में अगर कोई त्रुटि पायी जाती है, तो तय समय- सीमा के भीतर उसका निराकरण होगा. त्रुटि सुधार के नाम पर अब सीओ म्यूटेशन आवेदन को पेंडिंग नहीं रख पाएंगे. 24 घंटे के भीतर सीओ को आदेश देना होगा. बताया जाता है कि पुराने सॉफ्टवेयर में त्रुटि जांच की समय-सीमा तय नहीं थी, जिसका नाजायज फायदा कर्मचारी से लेकर सीओ तक खूब उठाते थे. त्रुटि जांच के नाम पर ये आवेदन महीनों लटकाए रखते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अगर सीओ आदेश जारी नहीं करते हैं तो आवेदन स्वतः आवेदक के लॉगइन में चला जाएगा. जिसके बाद वो त्रुटि सुधार कर दोबारा आवेदन कर सकेंगे. सीओ दोबारा मिले आवेदन पर आदेश जारी नहीं करते हैं तो वह अगले 24 घंटे बाद जांच के लिए स्वत: राजस्व कर्मचारी के पास चला जाएगा. राजस्व कर्मचारी इस आवेदन को खारिज नहीं कर सकेंगे. उनके पास सिर्फ स्वीकृत का विकल्प रहेगा. आवेदन स्वीकृत होने के बाद बाकी दस्तावेजों की जांच के लिए तीन दिन का समय तय है. संशोधित आवेदन कर सकेंगे आवेदकपुराने सॉफ्टवेयर में आवेदन में त्रुटि होने पर आवेदन ही अस्वीकृत कर दिये जाते थे. एक बार म्यूटेशन आवेदन अस्वीकृत हो जाने के बाद दोबारा आवेदन की सुविधा नहीं दी गई थी. जिसके बाद आवेदक को डीसीएलआर के समक्ष अपील करना पड़ता था. लेकिन नई व्यवस्था के तहत आवेदक त्रुटि दूर कर दोबारा संशोधित आवेदन सीओ के पास कर सकेंगे.
कहते हैं अधिकारीबिना बंटवारा किये संयुक्त जमाबंदी वाली जमीन बेचे जाने के कारण अक्सर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में संयुक्त जमाबंदी वाली जमीन के म्यूटेशन के पूर्व सभी हिस्सेदारों की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा. जमीन म्यूटेशन की संपूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने तथा लोगों की हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य स्तर से कई महत्वपूर्ण निर्देश दिये गए हैं. जिसमें आवेदक द्वारा दोबारा संशोधित आवेदन देना तथा एक से अधिक साक्ष्य अपलोड करना भी शामिल है. नई व्यवस्था के तहत अब ऑनलाइन आवेदन के दौरान आवेदक को टोकन नंबर मिलेंगे. जिसके जरीए वे म्यूटेशन की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. म्यूटेशन आवेदन के त्वरित निष्पादन को लेकर जारी विभागीय परिपत्र का शत-प्रतिशत अनुपालन कराने को लेकर सभी सीओ को निर्देश दिये गए हैं.
आरती, एडीएम
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