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आज माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करेंगे श्रद्धालु

आज माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करेंगे श्रद्धालु

प्रतिनिधि, गोगरी

नवरात्र के आठवें दिन गुरुवार को मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जायेगी. बुधवार को नवरात्रि के सप्तमी के दिन मां दुर्गा के साथ में स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की गयी. सुबह से ही सभी दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. गुरुवार को अष्टमी के दिन महिलाएं महाअष्टमी का व्रत भी कर रखेंगी. महिलाएं अष्टमी को मां का खोईचा भरेंगी. वहीं सैकड़ों महिलाएं नवमी को माता का खोईचा भरेंगे.

मान्यताओं के अनुसार शिव जी को पाने के लिए माता दुर्गा ने कठिन तप किया था. वह शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो गयी थी. शिवजी को प्रसन्न करने के बाद माता ने अपने स्वास्थ्य और स्वरूप को पुन: प्राप्त करने के लिए फिर से तपस्या की. इस तपस्या के बाद माता के शरीर से उनका श्याम वर्ण अलग हुआ. मां कौशिकी प्रकट हुई. मां पार्वती गौरवर्ण हो गयी. इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा. दरअसल, यह मां की लीला थी. राक्षस शुंभ और निशुंभ के वध के लिए देवी कौशिकी का अवतरित होना आवश्यक था. इसलिए माता ने यह लीला रची. माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है. मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता विकसित होती है. माता शक्ति जब आठ वर्ष की बालिका थीं, तब देव मुनि नारद ने इन्हें इनके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराया. फिर माता ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की. मात्र आठ वर्ष की आयु में घोर तपस्या करने के कारण इनकी पूजा नवरात्रि में आठवें दिन की जाती है. महागौरी मां को शिवा भी कहा जाता है. अपने इस स्वरूप में ये नंदी पर सवार रहती हैं. इनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू है. तीसरा हाथ अन्नपूर्णा और चौथा हाथ वर मुद्रा में है. मां श्वेत और मनभावन रूप में अपने भक्तों के कष्ट हरती हैं.

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