सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए 24 घंटे रखेगी निर्जला उपवास
आंगन में अरिपन के ऊपर सजेगी दही के साथ पकवान एवं मिष्ठान की डाली
खगड़ियाअखंड सौभाग्य के लिए किया जाने वाला व्रत हरितालिका तीज 6 सितंबर को है. भाद्र शुक्ल तृतीया चित्रा नक्षत्र को तीज व्रत रखा जाता है. जिसमें महिलाएं पतियों के सुख-सौभाग्य, निरोग्यता के लिए माता गौरी की पूजा करती हैं. इसी दिन चतुर्थी चंद्र पूजन (चौरचन) भी है. इसकी तैयारी घर-घर में की जा रही है. तीज एवं चौरचन पर्व को लेकर बाजार सजने लगीं है.
तिथि और शुभ मुहूर्त
यह भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जो गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले होता है. इस बार पूजा करने की तिथि 6 सितंबर को है. सूर्यास्त के बाद से शाम को पूजा किया जाएगा. सुहागिनों के लिए अहम पर्व हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह यह तीज सुहागिनों का व्रत है. पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत सभी सुहागिनें निष्ठा के साथ रखती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता पार्वती ने किया था. जिसमें उन्होंने अन्न और जल तक ग्रहण नहीं किया था. इसलिए यह व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं. इसमें महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती है. पूजन विधि प्रात: उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एक चौकी पर रंगीन वस्त्रों के आसन बिछाकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करें. साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प लें. संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुंब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की जाती है. आरंभ में श्री गणेश का विधिवत पूजन करना चाहिए. गणेश पूजन के पश्चात शिव-पार्वती का आवाह्न, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमनी, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा तथा यथाशक्ति आभूषण आदि से पूजन करना चाहिए. पूजन के पश्चात क्या करेंपूजन की समाप्ति पर पुष्पांजलि चढ़ाकर आरती, प्रदक्षिणा और प्रणाम करें. फिर कथा श्रवण करें. कथा के अंत में बांस की टोकरी या डलिया में मिष्ठान्न, वस्त्र, पकवान, सौभाग्य की सामग्री, दक्षिणा आदि रखकर आचार्य पुरोहित को दान करें. पूरे दिन और रात में जागरण करें और यथाशक्ति ओम नम: शिवाय का जप करें. दूसरे दिन और प्रात: भगवान शिव-पार्वती का व्रत का पारण करना चाहिए.
कहती है महिलाएं सुधा कुमारी, कुमिता, बबली, नूतन, पुष्पांजलि आदि ने बताया कि हर तालिका तीज सुहागिन महिला श्रद्धा पूर्वक के साथ नियम निष्ठा से करती है. निर्जला उपवास करती है. सुहागिन नए कपड़े के साथ शृंगारित होकर अपने पति की दीर्घायु के लिए मां पार्वती की पूजा करती है. पूजन के साथ अखंड दीप रात भर जलती रहती है. अखंड दीप प्रज्ज्वलित का विशेष महत्व है. रात्रि में समूह बनाकर महिलाएं जागरण करती है. जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. लोक पर्व चौरचन भी 6 को चौरचन पर्व शुक्रवार की संध्या में मनाया जायेगा. जिसकी तैयारियों जोरों पर हैं. संध्या में आंगन या छत पर रंग बिरंगे अरिपन बनाया जायेगा. प्रसाद के रूप में उसके ऊपर छोटे छोटे मिट्टी के बर्तनों में दही पकवान एवं कई तरह की मिठाई पश्चिम दिशा की ओर संध्या के समय रखा जाएगा. व्रतधारी महिलाएं के हाथों में बारी बारी से दही, पकवान की डाली रख कर विभिन्न मन्त्रौ उच्चारण के साथ चन्द्रमा को अर्घ्य दूध एवं गंगाजल से दिया जाता है. लोक पर्व चौरचन हर्षोल्लास के साथ घर घर में लोग मनाते है. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी लोगों ने बरकरार रखा है. चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. प्रत्येक घरों में एक महिलाएं निराधार उपवास करती हैं. संध्या में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रती पानी ग्रहण करती हैं. प्रातः काल उपवास निस्तार करती हैं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को व्रत करने से रोग, व्याधि आदि से मुक्ति मिलती है. उस दिन हाथ में फल लेकर ही चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए. शुभ मुहूर्त कन्हैयाचक गांव निवासी आचार्य विजय कृष्ण ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि 5 सितंबर गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से ही शुरू हो जाएगी. यह तिथि 6 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार हर तालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा. पूजन कार्य संध्या में होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है