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खगड़िया के वीरों की अमर गाथा: स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों की गौरवशाली कुर्बानी

खगड़िया के वीरों की अमर गाथा: खगड़िया के वीर शहीदों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। अगस्त क्रांति के दौरान प्रभुनारायण, धन्ना-माधव, और राम कृष्ण यादव जैसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ अदम्य साहस दिखाया और शहीद हो गए. उनकी वीरता और बलिदान आज भी जिले को गौरवान्वित करती है.

खगड़िया के वीरों की अमर गाथा: खगड़िया देश की आजादी के लिए कई युवाओं ने शहादत देकर जिले को गौरवान्वित किया है. देश की स्वतंत्रता के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को याद कर नमन कर रहे हैं. आजादी की चिंगारी फैलते ही जिले के क्रांतिकारियों ने अगस्त क्रांति की गाथा लिख दी थी. अगस्त क्रांति के अवसर पर 11 अगस्त को युवाओं ने सलौना स्टेशन से खगड़िया आ रही ट्रेन को रोक दिया. ट्रेन में खगड़िया पहुंचने से पहले तिरंगा फहरा दिया. सरकारी दफ्तरों में ताले लगा दिया. युवाओं ने गिरफ्तारियां दी. आंदोलन में शामिल युवाओं ने जोश भर दिया. 12 अगस्त 1942 को गोगरी के लोगों ने महेशखूंट स्टेशन को तहस-नहस कर दिया. इसी दौरान सदर प्रखंड के माड़र गांव निवासी क्रांतिकारी प्रभुनारायण बनारस से 12 अगस्त की शाम खगड़िया पहुंचे.

खगड़िया के वीरों की अमर गाथा: तिरंगा थामे क्रांतिकारी प्रभुनारायण हो गए शहीद

शहर से सटे सन्हौली गांव पहुंचकर नौजवान साथियों को तिरंगा झंडा के साथ एकत्रित किया. वहां से अंग्रेजों का विरोध करते हुए मुंगेरिया चौक तक पहुंचे. कैंप कर रहे अंग्रेज सिपाहियों ने तिरंगा थामे प्रभुनारायण को गोली मारने की धमकी दी. अंग्रेज सिपाहियों की धमकी को अनसुना करते आजादी के दीवाने क्रांतिकारी प्रभुनारायण अपनी कमीज का बटन खोलते हुए कहा कि वे पीछे नहीं हटेंगे. तिरंगा लेकर जैसे ही आगे बढ़े अंग्रजों ने उन्हें तीन गोलियां दाग दी. जिसमें दो गोली उनके सीने तथा एक गोली पैर में लगी थी. 13 अगस्त को 1942 को वे शहीद हो गए थे.

खगड़िया के वीरों की अमर गाथा: मानसी में धन्ना माधव हो गए शहीद

बताया जाता है कि प्रभुनारायण के शहीद होते ही खुटिया के लोगों ने मानसी स्टेशन को लूटकर जला दिया. जुलूस निकाला जिसमें बनिया-बक्काल भी शामिल हो गए थे. महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वान पर 13 अगस्त 1942 को मानसी के धन्ना-माधव के नेतृत्व में लोग हाथों में तिरंगा झंडा लिए मानसी रेलवे स्टेशन के सामने अंग्रेजों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे थे. क्रूर अंग्रेज के सिपाहियों ने डराया धमकाया, लेकिन धन्ना-माधव के नेतृत्व ने आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों पर डटकर मुकाबला किया. धन्ना-माधव लगातार अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद कर रहे थे. अंग्रेज के सिपाही ने भीड़ पर गोली चल दी. जिसमें धन्ना माधव ने सीने पर गोली खाकर अपनी प्राणों की आहुति देश के आजादी के लिए दे दी.

खगड़िया के वीरों की अमर गाथा: 14 अगस्त 1942 को गोगरी में राम कृष्ण यादव ने दी शहादत

गोगरी के क्रांतिकारियों ने 14 अगस्त को गोगरी स्टीमर घाट को नष्ट करने का प्रयास किया. तिरंगा लिए गोगरी के राम कृष्ण यादव पसराहा महेशखूंट और नारायणपुर की रेलवे पटरियां उखाड़ दी. एसडीओ ने गोलियां चलाने का आदेश दिया. जिसमें राम कृष्ण यादव शहीद हो गए. बताया जाता है कि जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक अगस्त क्रांति के लेखक बलदेव नारायण ने खगड़िया के शहीदों की चर्चा की है. उक्त पुस्तक के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता अमरीष कुमार ने बताया कि अगस्त क्रांति के अवसर पर पुलिस थाना, आबकारी दुकान और लखमिनियां स्टेशन पर कब्जा किया. साहेबपुर कमाल स्टेशन और मुंगेर घाट स्टेशन को भी आंदोलनकारियों ने तहस-नहस कर दिया. साहेबपुर कमाल स्टेशन के तोड़फोड़ में उनके पिता चंद्रिका प्रसाद यादव और दादा सुंदर प्रसाद यादव भी शामिल थे.

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