खगड़िया. वट सावित्री की पूजा गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने की. सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड पड़ी. वहीं पारंपरिक गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया. वहीं वट सावित्री पूजन को लेकर महिलाओं ने गंगा में डूबकी लगायी. सावित्री एवं सत्यवान का पूजाकर वट वृक्ष के जड़ में जल अर्पण कर पवित्र सूत के धागे को वट वृक्ष पर लपेटकर सात बार परिक्रमा कर सावित्री व सत्यवान की कथा का श्रवण किया. वहीं इस पूजन को लेकर विभिन्न मंदिरों में महिलाएं की भीड़ उमड़ी पड़ी. नवविवाहिता में उत्साह नवविवाहिता में पर्व को लेकर उत्साह दिखा. पहली बार पूजन को लेकर विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना की गयी. ससुराल पक्ष की ओर से प्राप्त वस्त्र, पूजन की सामग्री आदि का उपयोग नवविवाहिता ने किया. वट वृक्ष के नीचे दिन भर भक्ति का माहौल बना रहा. वट वृक्ष के समीप उपस्थित महिलाओं ने एक-दूसरे को सुहाग दिया. घर में अपने पति से महिलाएं आशीर्वाद प्राप्त कर वट सावित्री व्रत सम्पन्न किया. वृक्ष जीवनदायिनी वट-सावित्री व्रत के दौरान बरगद वृक्ष की विधिवत पूजा की जाती है. सनातन धर्म में बरगद, पीपल आदि वृक्ष जीवनदायिनी माने गये हैं एवं पौराणिक धार्मिक कथाओं में इनसे जुड़े अनेकों किस्से मिलते हैं. वस्तुत: आस्था के इस पेड़ को मानव-जीवन का संरक्षक इसलिए भी माना जाता है कि इस पेड़ की संरचना बिलकुल जीवधारियों जैसी है. इनसे जीव जगत को होने वाले लाभ को विज्ञान भी मान्यता देता है. प्रकृति प्रेम व पर्यावरण सुरक्षा का संदेश प्रति पादित करने के लिए शास्त्रों में वट सावित्री पूजा का एक निश्चित तिथि निर्धारित है.
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