गोगरी. अनुमंडल क्षेत्र सहित जिले में हर्षोल्लास के साथ आज यानी मंगलवार को नरक चतुर्दशी मनेगी. दीपावली पर्व से एक दिन पहले 30 अक्टूबर को पूरे देश में छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी का पर्व धूमधाम से मनाया जायेगा. इसे रूप चौदस और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से न केवल नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति मिलती है, बल्कि सौंदर्य, स्वास्थ्य और समृद्धि भी आती है. हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है. ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन अत्याचारी नरकासुर का वध किया था और 16 हजार 100 कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त करवाया था. इसी उपलक्ष्य में यह दिन बुराई पर अच्छाई की
रूप चतुर्दशी और सौंदर्य का महत्व
पंडित कहते हैं कि नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन विशेष रूप से रूप और सौंदर्य की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन तेल से स्नान करके दीप जलाने और पूजा करने से व्यक्ति को सुंदरता और तेज का आशीर्वाद प्राप्त होता है. महिलाएं इस दिन विशेष तौर पर श्रृंगार करती हैं और सुंदरता की देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा करती हैं.
परंपरा व पूजन विधि
नरक चतुर्दशी के दिन सुबह में स्नान को विशेष महत्व दिया गया है. इस समन को “अभ्यंग स्नान ” कहा जाता है. इसमें तेल और उपटन का प्रयोग किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस स्नान से पापों का नाश होता है और शरीर को शुद्धता मिलती है. इसके बाद दीप जलाकर घर के मुख्य द्वार पर और अन्य स्थानों पर रखे जाते हैं. इससे सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. इसके अलावा इस दिन यमराज की पूजा का भी महत्व है. मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और व्यक्ति दीर्घायु होता है. इस दिन धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के साथ विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है