पुलिस मुख्यालय ने खगड़िया, भागलपुर व मुंगेर के डीएम, एसपी व डीआईजी को लिखा गया पत्र
अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी में चल रही नावों में क्षमता से अधिक लोगों को बैठाया जा रहा है. लोगों की जान-माल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय पटना द्वारा भागलपुर, खगड़िया तथा मुंगेर जिले के डीएम, एसपी तथा तीन प्रक्षेत्र क्रमशः बेगूसराय, भागलपुर एवं मुंगेर के डीआईजी को पत्र लिखकर नाव पर ओवर लोडिंग रोकने को कहा है. जानकारी के मुताबिक अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी में नाव पर क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने की जानकारी पुलिस मुख्यालय तक पहुंचने के बाद पुलिस अधीक्षक (अ) विशेष शाखा द्वारा पत्र लिखा गया है. उक्त तीनों जिलों के वरीय अधिकारियों को पत्र लिखे पत्र में कहा गया है कि सुल्तानगंज स्थित निर्माणाधीन पुल तथा अगुवानी घाट से लोगों को नदी पार करने का साधन मात्र नाव ही है. स्थानीय लोग नाव द्वारा ही गंगा नदी पार कर भागलपुर, मुंगेर तथा देवघर आवागमण करते हैं. वर्तमान में गंगा नदी का जल स्तर काफी बढ़ा हुआ है. जबकि नाविकों द्वारा क्षमता से अधिक लोगों यात्रियों में महिला एवं बच्चे भी शामिल रहते हैं. मोटर साइकिल को भी नाव पर लादकर नदी पार कराया जा रहा है. जिससे कि नाव दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. पुलिस मुख्यालय द्वारा तीनों जिलों के अधिकारियों को प्रशासनिक सतर्कता एवं आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है.
दर्जनों घाटों पर होता है नाव का परिचालन
सात नदियों से घिरे खगड़िया जिले में कई नदी घाटों पर नाव के जरिये लोग नदी पार करते हैं. क्योंकि यहां आवागमण का मात्र एक साधन नाव ही है. अगर बात करें तो अलौली एवं चौथम प्रखंड में नदी घाट की संख्या थोड़ी अधिक है. जबकि खगड़िया, बेलदौर तथा दूसरे प्रखंड में भी कई नदी घाटों पर नाव चलती है. चूंकि आवागमण का साधन नहीं रहने के कारण लोग नाव से ही नदी पार कर अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचते हैं. नदी घाटों पर नहीं होता नियमों का पालनजिले के विभिन्न नदी घाटों पर नाव परिचालन को लेकर जारी नियम-कायदे का पालन नहीं हो रहा है. नियम के अनुसार सूर्योदय के बाद तथा सूर्यास्त के पहले ही नदी में नाव का परिचालन होना है. लेकिन पिछले साल गढ़ घाट अलौली तथा दो- तीन साल पहले नयागांव परबत्ता में देर शाम बाद ही नाव डूबी थी. यानि इस नियम का अनुपालन नहीं हो रहा है. नदियों में चल रहे नाव का निबंधन एवं नाव पर लदान क्षमता से संबंधित निशान लगाना जरूरी है. नाव की लम्बाई, चौड़ाई एवं गहराई के हिसाब से नाव पर लदान व बैठान क्षमता निर्धारित कर नाव की चारों ओर लाल निशान ( खतरे का निशान) अंकित किया जाता है. इसके अलावे लोगों की जानमाल की सुरक्षा के लिए नाव पर लाइफ जैकेट अथवा हवा युक्त चार ट्यूब रस्सी से बंधा हुआ रखना अनिवार्य है. ताकि नाव पलटने की स्थिति में लोग इस ट्यूब के सहारे पानी से बाहर निकल सकें. लेकिन स्थिति ठीक इसके विपरीत है. अधिकांश घाटों पर चलने वाली नाव पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नजर नहीं आता है.
अक्सर होती रहती है नौका दुर्घटनाएं
नदी घाटों पर इन नियमों की हमेशा से अनदेखी होती रही है. जिसका परिणाम है कि आए दिन नदियों में नाव दुर्घटनाएं/ पलटने की बातें सामने आती है, जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हो जाता है. इसी महीने मानसी प्रखंड में बाढ़ के पानी में नाव पलटने से दो लोगों की मौत हो गई थी. इसी तरह पिछले साल गढ़ घाट पर नाव डूबने की बातें सामने आई थी. हालांकि उस दौरान नाव पर यात्री की जगह ट्रैक्टर था. साल 2020 में संसारपुर में नाव पलटने के दौरान छह लोगों की मौत पानी में डूबने से हो गई थी. जिसमें चार मुंगेर एवं दो इस जिले के थे. नयागांव परबत्ता में भी तीन साल पहले नाव दुर्घटना में छह लोगों की मौत डूबने से हुई थी. ये लोग से हरी घास लेकर नाव से घर लौट रहे थे. इधर जिला आपदा सलाहकार प्रदीप कुमार ने बताया कि यात्रियों में महिलाएं, बूढ़े एवं बच्चे भी शामिल रहते हैं. जिसके जीवन की परवाह किये बगैर नाविक क्षमता से अधिक लोगों को बैठाकर नदी पार कराते हैं, जो बिल्कुल सही नही है. लोगों को भी अपनी सुरक्षा की परवाह करनी चाहित. ओवरलोड नाव पर बैठने की जगह थोड़ा इंतजार कर वे दूसरी नाव से नदी पार करें. कहते हैं अधिकारीअगुवानी-सुल्तानगंज गंगा नदी के बीच सुरक्षित नौका परिचालन को लेकर परबत्ता थानाध्यक्ष को सख्त निर्देश दिये गए हैं. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गोगरी भी अपने स्तर से मोनेटरिंग करेंगे. लोगों की जान-माल की सुरक्षा की अनदेखी कर नाव पर क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने सहित नियम के विपरीत नौका का परिचालन कराने वालों के विरुद्ध विधी- सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
चंदन कुशवाह, एसपी.
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