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लापरवाही व अज्ञानता के कारण मानव जीवन में जहर घोल रहा पॉलीथिन

धड़ल्ले से सिंगल यूज प्लास्टिक हो रहा उपयोग

लापरवाही व अज्ञानता से पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान. प्रतिनिधि, खगड़िया पर्यावरण किसी एक व्यक्ति से नहीं, बल्कि पूरी मानव सभ्यता से जुड़ी हुई है, जिस रफ्तार से पर्यावरण दूषित हो रहा है और अगर मानव जागृत नहीं हुआ, तो भविष्य में बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर बेमौसम बारिश, भीषण गर्मी, ओलावृष्टि आदि को लिया जा सकता है. पर्यावरण असंतुलन ने सिंगल यूज प्लास्टिक या यूं कहे पॉलीथिन भी एक कारण है. खगड़िया जैसे छोटे शहर में प्रतिदिन 400 से 500 किलो पॉलीथिन या इससे बने सामानों की खपत हो रही है. उपयोग होने के बाद जब लोग इसे इधर- उधर फेंक देते है, तो इससे प्रदूषण बढ़ना शुरू हो जाता है. उपजाऊ मिट्टी की भी यह बंजर बना देता है. शादी विवाह के सम में प्लास्टिक के पत्तल, ग्लास, प्लेट आदि की खपत 10 गुना बढ़ जाती है. ये यूज होने के बाद धरती के लिए हानिकारक साबित होते है, अतित की बात बनकर रह गया अभियान जिला सहित राज्य भर में सिंगल यूज पॉलीथिन पर बैन लगाने के बाद नगर पर्षद व जिला प्रशासन की ओर से ताम-झाम के साथ लोगों को प्लास्टिक से तौबा करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया था. कभी कभी जिला प्रशासन द्वारा जुर्माना कर खानापूर्ति कर लिया जाता है. इसके बाद जुर्माने और कार्रवाई का आदेश कागजों पर सिमट कर रह जाती है. बीते एक माह पूर्व शहर में छापेमारी अभियान भी चलाया गया, कई दुकानदारों से जुर्माना वसूल किया गया. सब्जी मंडी से लेकर दवा की दुकानों में छापेमारी हुई, लेकिन अब वह कार्रवाई या अभियान अतीत की बात बन कर रह गयी है. सब्जी मंडी से लेकर तमाम दुकानों में धड़ल्ले से सिंगल यूज पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है, हालांकि, कभी-कभी खानापूर्ति के लिए कुछ दुकानों की जांच कर ली जाती है. 90 प्रतिशत लोग नहीं करते झोले का उपयोग शहर,बाजार,हटिया जाने वाले 90 फीसदी से अधिक लोग किसी भी सामान की खरीदारी करने के लिए अपने साथ बैग या झोला लेकर नहीं जाते हैं. हर सामान की खरीद पर दुकानदार से पॉलीथिन की मांग करते है, जिस दुकानदार के पास पॉलीथिन नहीं होते, उससे वे सामान की खरीदारी करने से परहेज करते हैं. जाहिर है दुकानदारों को पॉलीथिन रखना एक मजबूरी भी है. दरअसल, जिला पॉलीथिन और प्लास्टिक पैक में आने वाले सामान की सूची भी इतनी लंबी है कि उसे गिन पाना शायद संभव नहीं है. खासतौर पर आम लोगों के दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली तमाम वस्तुएं ऐसी है, जो केवल प्लास्टिक या पॉलीथिन पैक में ही बाजार में उपलब्ध है. उदाहरण के तौर पर दूध, दही, ब्रेड, पनीर, पानी बोतल, चिप्स, नमकीन, बिस्कुट, साबुन, सैपू, सीमेंट, यूरिया बैंग आदि. इसी से समझा जा सकता है कि खाने-पीने की वस्तुओं पर किस कदर प्लास्टिक हावी है. यही प्लास्टिक प्रदूषण का शिकार होता है और उसी प्रदूषण की चपेट में हमारी जिंदगी प्रभावित होती है. सिंगल यूज प्लास्टिक से जीव-जंतु भी प्रभावित है. यूज कर फेंके गये प्लास्टिक या पॉलीथिन जानवरों की ग्रास बन रहे है. 42 डिग्री तक पहुंचा तापमान, लोग हो रहे परेशान जिले का तापमान 38 से 42 डिग्री तक रहा है, लेकिन इस वर्ष जिले का पारा 42 तक पहुंचा. सोमवार को अधिकतम तापमान 41 डिग्री रहा है, जबकि न्यूनतम 28 डिग्री रहा. बीते 15 दिन पहले लाभगांव व अन्य स्कूल के बच्चे गर्मी से बेहोश होकर गिर गया. दर्जनों लोग अत्यधिक गर्मी का शिकार हुए. अभी भी स्थित भयावह है और पारा 38 से 42 डिग्री के बीच घूम रहा है. कई रोगों को जन्म देता है: डॉ प्रेम कुमार डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि पॉलीथिन हमारे जीवन पर असर डाल रहा है. चाय व पानी पीने के लिए भी हम प्लास्टिक का उपयोग कर रहे है. यह कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देता है. इससे होने वाले नुकसान तथा इसके दुर्गामी परिणामों को अच्छी तरह से समझे तथा इनके समूल नाश का स्वयं पुख्ता उपाय ढूंढ़ें. हमारी लापरवाही व अज्ञानता ही हमारे लिए पर्यावरण असंतुलन, बाढ़, सुखाड, बीमारी तथा अन्य प्रकार की तवाहियों का कारण बनती है. हमें खुद जागरूक होना होगा तथा ऐसी नकारात्मक परिस्थितियों से स्वयं ही जुझना होगा, जहां तक हो सकें हम अपने घरों में रहे कचरों को एकत्रित कर उन्हें स्वयं समाप्त करें या रिसाइकिल होने के लिए उसे किसी कबाड़ी के दुकान तक पहुंचाने का उपाय करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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