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मच्छर जनित रोगों को लेकर अनुमंडल स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

लोगों को मच्छर और मच्छर जनित रोगों के प्रति कर रहे हैं जागरूक

लोगों को मच्छर और मच्छर जनित रोगों के प्रति कर रहे हैं जागरूक गोगरी. बारिश के मौसम में जल जमाव के कारण मच्छर जनित रोगों का प्रकोप बढ़ने की संभावना को देखते हुए जिला स्वास्थ्य समिति अलर्ट मोड पर है. इसके लिए गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सकों को मच्छर जनित रोगों के प्रबंधन को लेकर आवश्यक व्यवस्था पूरी करने का निर्देश जारी किया है. ताकि मरीजों की पुष्टि होने पर तत्काल उनका इलाज शुरू किया जा सके. साथ ही जल जमाव वाले इलाके में लोगों को मच्छरों के प्रबंधन की जानकारी के साथ बचाव को लेकर भी जागरूक करने का निर्देश जारी किया है. गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चंद्र प्रकाश ने लोगों को सोते समय मच्छरदानी का अनिवार्य रूप से प्रयोग करने की अपील की है. साथ ही गर्भवती महिला तथा बच्चों को पूरे हाथ वाले कपड़े पहनने की सलाह दी है. मच्छरों को दूर रखने के लिए क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है. डेंगू एडिच मच्छर के काटने से होता है. यह मच्छर सूरज निकलने के दो घंटा बाद और सूरज डूबने के दो घंटा पहले सक्रिय होते हैं और इसी दौरान सबसे अधिक काटते हैं. गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में बनाये गये हैं डेंगू वार्ड गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में एक कमरे में डेंगू वार्ड बनाया गया है. डेंगू वर्ल्ड में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए दो बेड लगाए गए हैं. गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चंद्र प्रकाश ने बताया कि फिलहाल अस्पताल में डेंगू के एक भी मरीज नहीं पहुंचे हैं फिर भी एहतियात के तौर पर पूर्व से ही डेंगू वार्ड बना लिया गया है. डेंगू का जांच किट अभी तक जिला से उपलब्ध नहीं कराया गया है. यह जांच किट राज्य मुख्यालय पटना से जिला को मिलता है. उसके बाद जिला के माध्यम से अनुमंडलीय अस्पताल को उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने बताया कि जिला के सदर अस्पताल में एलिजा रीडर उपलब्ध है. लक्षण वाले मरीजों को सदर अस्पताल से जांच करवाया जायेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि डेंगू की तैयारी के लिए आशा एवं एएनएम को ट्रेनिंग दी गयी है. उन्हीं के माध्यम से क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. प्लेटलेट 50 हजार से कम होने पर स्थिति चिंताजनक पर डेंगू ही है यह जांच के बाद तय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्र प्रकाश ने बताया कि प्लेटलेट 50 हजार से कम होने पर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. यह जरूरी नहीं है कि उक्त व्यक्ति को डेंगू बुखार ही हुआ है. अन्य बीमारियों में भी प्लेटलेट्स में कमी आती है. जांच के बाद ही डेंगू बुखार का पता चलता है. अगर डेंगू पॉजिटिव पाया जाता तो डेंगू में दूसरे सप्ताह में लक्षण खतरनाक हो जाता है. पेट में दर्द उल्टी और पेशाब कम होता है. वहीं शरीर पर चकते होने लगते हैं. लक्षण दिखने पर लोगों को तत्काल अपने नजदीक के सरकारी अस्पताल में संपर्क करना चाहिए. ताकि समय से मरीज का इलाज शुरू हो सके. बताया कि निजी अस्पतालों में जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट से होती है. जांच में एनएस वन पॉजिटिव आने पर मरीज में डेंगू की घोषणा की जाती है. एलिजा रीडर से जांच कर डेंगू के लक्षण वाले रोगी चिन्हित किये जा सकते हैं. लेकिन डेंगू के मरीज की सही पहचान एलिजा रीडर से ही हो सकती है.

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