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पारा मेडिकल छात्रों के भरोसे है सदर अस्पताल में आउटडोर से लेकर इमरजेंसी में इलाज की व्यवस्था

मरीज परेशान

सदर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात अधिकांश चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी करते हैं आराम, इमरजेंसी की स्थिति भी बदहाल ———- फोटो.20 केप्सन. डॉक्टर की कुर्सी पर बैठकर इलाज करते पारा मेडिकल छात्र. फोटो.21 केप्सन. सदर अस्पताल खगड़िया. फोटो.22 केप्सन. प्रभात खबर में छपी खबर ड्यूटी से गायब चिकित्सकों पर कार्रवाई, तो दूर स्पष्टीकरण करने से भी कतराते हैं प्रभारी सीएस, आइसीयू में पहुंची सदर अस्पताल की व्यवस्था प्रतिनिधि, खगड़िया सदर अस्पताल की व्यवस्था आइसीयू में पहुंच चुकी है. यहां मरीजों का इलाज डॉक्टर नहीं पारा मेडिकल व एएनएम व जीएनएम की पढ़ाई कर रहे छात्रों के भरोसे है. हालात इस कदर बदतर हो चुकी है कि इमरजेंसी तक से डॉक्टर गायब रहते हैं. आपातकालीन वार्ड में भी पारा मेडिकल छात्रों को इलाज की कमान देकर अधिकांश डॉक्टर आराम फरमाते रहते हैं. आउटडोर में डॉक्टर की कुर्सी पर बैठकर मरीजों का इलाज करते कैमरे में कैद पारा मेडिकल छात्र की तस्वीर सदर अस्पताल में इलाज की बदतर व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. बदहाली दूर करना जिनका काम है, वह कान में तेल डाल कर सोये हुये हैं. निरीक्षण के नाम पर कोरम पूरा कर रिपोर्ट भेज दिया जाता है लेकिन स्थिति में सुधार को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने से हालात दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हैं. जो डॉक्टर हैं, वह भी इलाज करें, तो सुधर सकते हैं हालात यह सच है कि सदर अस्पताल से लेकर अन्य सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी हैं लेकिन जो हैं, वह भी अगर सही तरीके से मरीजों का इलाज करें तो स्थिति में काफी सुधार हो सकता है. लेकिन ड्यूटी से गायब रहने की बीमारी से ग्रस्त अधिकांश डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी में सुधार नहीं हो पा रहा है. वर्तमान सिविल सर्जन डॉ. राम नारायण चौधरी के प्रभारी सीएस बनने के बाद स्थिति सुधरने की बजाय बदतर हो गयी है. आलम यह है कि सिविल सर्जन के निर्देश को चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ठेंगा दिखाया जा रहा है. कई बार सीएस द्वारा डॉक्टरों को ड्यूटी पर जाने के लिए गिड़गिड़ाते हुए देखा सकता है. राजद जिलाध्यक्ष मनोहर यादव ने कहा कि सदर अस्पताल उपाधीक्षक से लेकर प्रभारी सीएस का कार्यभार संभाल रहे डॉ. चौधरी की हालत ऐसी है कि वह हालात बदलने में असक्षम साबित हो रहे हैं. तीन दिन पहले आउटडोर में अधिकांश चिकित्सकों के गायब रहने की खबर प्रकाशित होने के बाद जांच व कार्रवाई तो दूर स्पष्टीकरण पूछने से भी प्रभारी सीएस कतरा रहे हैं, ऐसे में इनसे व्यवस्था में सुधार की उम्मीद बेइमानी होगी. ………… तत्कालीन मुंगेर प्रमंडल के कमिश्नर पंकज पाल के आदेश पर जिस चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राम नारायण चौधरी को अलौली पीएचसी प्रभारी पद से यह कहते हुये हटा दिया गया था कि इनसे व्यवस्था नहीं संभल रही है, उसे प्रभारी सिविल सर्जन बना दिया जायेगा तो सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था बदतर होना लाजिमी है. जिला प्रशासन को इस ओर अविलंब ध्यान देने की जरूरत है. ताकि गरीब मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भटकना ना पड़े. – दीपक कुमार अकेला, आरटीआइ कार्यकर्ता. ———— जब सदर अस्पताल में इलाज का यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पीएचसी, सीएचसी सहित अन्य अस्पतालों में क्या होता होगा, यह सोचनीय विषय है. निरीक्षण के नाम पर कोरम पूरा करने से काम नहीं चलेगा, भगोड़े व ड्यूटी से गायब रहने वाले चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों पर ठोस एक्शन लेना होगा, तब जाकर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है. सुभाष चंद्र जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता. ——— सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर हालात में पहुंच चुकी है. पारा मेडिकल, एएनएम व जीएनएम की पढ़ाई कर रहे छात्रों के भरोसे सदर अस्पताल में इमरजेंसी से लेकर आउटडोर की व्यवस्था रहने से मरीज का इलाज भगवान भरोसे हैं. बीमारी से ठीक हो गये तो राम -राम वरना राम नाम सत्य है. मनोहर यादव, राजद जिलाध्यक्ष. सदर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार के लिए एचएम को नया रोस्टर बनाने को कहा गया है. ड्यूटी से गायब रहने वाले चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों से स्पष्टीकरण पूछा जा रहा है. इलाज में मनमानी व लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. डॉ राम नारायण चौधरी, सीएस. —— सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान कई खामियां मिली है. ड्यूटी रोस्टर में यह स्पष्ट नहीं था कि किस समय कहां पर किस डॉक्टर की ड्यूटी है. पैथोलॉजिकल टेस्ट, दवा वितरण आदि की स्थिति से लेकर इलाज की व्यवस्था में तुरंत सुधार की जरूरत है. निरीक्षण की पूरी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी गयी है. अमित अनुराग, सदर एसडीओ.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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