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बिहार: पुनपुन में खरमास मेला की शुरुआत, शादियों पर लगा ब्रेक, जानिए शहनाई की धुन पर विराम लगने की वजह

Kharmas 2023: बिहार के पटना में स्थित पुनपुन में खरमास मेले का शुभारंभ हुआ है. खरमास की शुरुआत के साथ ही मेले का आगाज हुआ है. इस दौरान शादियों पर विराम लग जाता है.

Kharmas 2023: बिहार की राजधानी पटना में पुनपुन मेले की शुरुआत हुई है. यहां जदयू के प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार पहुंचे. इस दौरान इन्होंने पुनपुन को राष्ट्रीय मेला घोषित करने की मांग की है. खरमास की शुरूआत के साथ ही खरमास मेले का आगाज हुआ है. यह मेला एक महीने का होगा. खरमास भी एक महीने का ही होगा. इस दौरान शादी नहीं होगी. फिलहाल, राज्य में कई शादियों हो रही थी. लेकिन, अब इस पर ब्रेक लग चुका है. शादी- विवाह समेत कोई भी मांलिक कार्य खरमास के दौरान नहीं होता है. वहीं, 15 जनवरी के बाद से फिर से शादी की शुरूआत हो जाएगी.

खरमास के बाद होंगे मांगलिक कार्य

खरमास के बाद ही मांगलिक कार्य होंगे. खसमास के दौरान यह मान्यता है कि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते है. मान्यता के अनुसार सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश कर जाते है. इसके बाद वह मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस बीच के समय को खरमास कहते हैं. मान्यता है कि इस दौरान शादी करना अच्छा नहीं होता है. विवाह का उदेश्य सुख समृद्धि होता है. वहीं, खरमास के दौरान विवाह को अच्छा नहीं माना जाता है. साथ ही इस दौरान शादी करने से सुख मिलने के योग भी कम माने जाते है. यही कारण है कि खरमास में घरों में शादी की शहनाई नहीं बजती है.

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खरमास में कई लोग नहीं करते नए काम का आगाज

शादी के अलावा खरमास के दौरान मुंडन जैसा कार्य भी नहीं होता है. मान्यता के अनुसार इस दौरान किए गए कार्य खराब हो सकते हैं. इस कारण ही इस दौरान शुभ कार्य नहीं होता है. कई लोग तो खरमास के दौरान कोई नया काम भी शुरू नहीं करते हैं. कहा जाता है कि यह मुश्किलों को जन्म देतै है. कई लोगों के अनुसार इस दौरान शुरू किए गए काम बीच में ही रुक सकते हैं. उनके धन के भी फंसने की उम्मीद होती है. मान्यता के अनुसार कई लोग खरमास के दौरान मकान भी नहीं बनाते है. माना जाता है कि इस दौरान घरों के निर्माण करने के बाद उसमें रहने से सुख की प्राप्ति नहीं होती है. काम बीच में रुकने का भी लोगों को डर होता है.

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कई लोग इस दौरान नहीं करते शुभ कार्य

बिहार में 16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत हुई है. यह 15 जनवरी तक रहेगा. एक महीने की यह अवधि होती है. लोगों की मान्यता है कि यह अवधि अशुभ होती है. इस कारण इसमें अच्छे कामों का शुभारंभ नहीं होता है. खरमास के समय विवाद और मुंडन के अलावा गृह प्रवेश भी नहीं किया जाता है. कई लोग इस दौरान शुभ कार्य को रोक देते है. साथ ही एक महीने का इंतजार करते हैं और एक महीने के बाद ही मांगलिक कार्य को करते हैं. देशभर में हिन्दू लोगों की शादी इस दौरान रूक जाती है. इसके बाद इसकी फिर से शुरुआत होती है. मान्यता है कि खरमास के दौरान शादी करने पर धन की हानि होती है. इसे शुभ बिल्कुल भी नहीं माना जाता है. कई लोग ऐसे है जो खरमास के खत्म होने के बाद अपनी बेटी की विदाई करते हैं. मान्यता को लेकर कई लोग इस दौरान लहसून व प्याज का सेवन भी नहीं करते हैं. साथ ही मांस व मछली का भी सेवन नहीं करते हैं. साथ ही पूजा- पाठ करते हैं और मंत्रों का जाप आदि करते हैं. इसके लाभ की भी लोगों के बीच मान्यता है. लोग सूर्य की उपासना में जुट जाते हैं.

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