18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Kisan News: रोहिणी के बाद अब आद्रा है बिचड़ा के लिए आखिरी मौका, आद्रा नक्षत्र में बारिश का बन रहा है योग…

प्री-माॅनसून में रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश होने के साथ जिले व आसपास के क्षेत्रों में बारिश हुई थी. ऐसे में बिचड़ा गिराने और धान की खेती शुरू करने के लिए किसानों के बीच उम्मीद बंधी थी. रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र भी बीत जाने के बाद आखिरी मौका आद्रा नक्षत्र है.

भागलपुर: प्री-माॅनसून में रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश होने के साथ जिले व आसपास के क्षेत्रों में बारिश हुई थी. ऐसे में बिचड़ा गिराने और धान की खेती शुरू करने के लिए किसानों के बीच उम्मीद बंधी थी. रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र भी बीत जाने के बाद आखिरी मौका आद्रा नक्षत्र है, जिसमें धान का बिचड़ा बोया जा सकता है.

छह जुलाई तक है आद्रा नक्षत्र

पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि 22 जून गुरुवार को शाम 5.48 बजे आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर गया. आद्रा नक्षत्र की राशि मिथुन है, जो बुध ग्रह की भी राशि है. सूर्य व बुध इस समय मिथुन राशि में ही रहेंगे. सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश बदलाव लायेगा. इसका असर मानव जीवन पर भी पड़ेगा. आर्द्रा नक्षत्र वर्षा के अनुकूल माना जाता है. इसके आने से वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाती है. आर्द्रा नक्षत्र में सूर्यदेव छह जुलाई की सुबह 5.15 बजे तक रहेंगे.

Also Read: बंद कमरे में भरा था विधवा की मांग में सिंदूर, पांच साल बाद अब कर रहा दूसरा शादी, महिला थाना पहुंची पीड़िता
52 दिन तेज बारिश का बन रहा है योग

बताया कि हरेक साल ग्रहों के राजा सूर्य आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष नवमी तिथि को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं. इस बार यह तिथि 22 जून को पड़ी. आद्रा नक्षत्र में जब सूर्य प्रवेश करते हैं, तो पृथ्वी रजस्वला हो जाती है. यह समय बीज बोने के लिए सबसे उपयुक्त समय है. ग्रह-नक्षत्र की इस स्थिति के 52 दिन तेज बारिश का योग बन रहा है. सूर्य के आद्रा नक्षत्र में आने को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन भगवान शंकर, भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें खीर-पूड़ी, आम का भोग लगाया जाता है. साथ ही इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना बेहद फलदायी माना जाता है.

आद्रा नक्षत्र के स्वामी हैं रुद्र और राहु

वहीं ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश को बहुत अहम माना गया है क्योंकि इस नक्षत्र के स्वामी रुद्र और राहु हैं. भगवान शिव का रुद्र स्वरूप आंधी तूफान लाता है. इसके साथ ही बारिश होती है. समय पर बारिश का होना खेती के लिए जरूरी है.

Also Read: श्रावणी मेला : लापरवाही पर दो अधिकारियों का कटा वेतन, 48 घंटे में रिपेयर होगा मेला क्षेत्र का रोड
सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन का समय

सूर्य 22 जून 2023, गुरुवार की शाम 5.48 बजे आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. आर्द्रा नक्षत्र की राशि मिथुन है, जो बुध ग्रह की भी राशि है और सूर्य व बुध इस समय मिथुन राशि में ही रहेंगे. इससे मिथुन राशि में बुधादित्य योग बनेगा. जो सभी राशि वालों पर शुभ-अशुभ असर डालेंगे. साथ ही इस समय शनि स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे.

जिले में नौ प्रखंड हैं धान उत्पादक क्षेत्र

जिले में खासकर नौ प्रखंड जगदीशपुर, शाहकुंड, सन्हौला, सुल्तानगंज, पीरपैंती, नाथनगर, सबौर, गोराडीह व पीरपैंती धान उत्पादक क्षेत्र हैं. जिला कृषि पदाधिकारी अनिल यादव ने बताया कि उपयुक्त प्रभेद का उचित समय से बुआई नहीं करने से अच्छी उपज नहीं होती है. कम अवधि प्रभेद में सहभागी सबौर दीप, हर्षित, अभिषेक, सीओ 51, स्वर्ण श्रेया, राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र कस्तूरी व प्रभात मध्यम अवधि के प्रजाति डीआरआर 42, 44, संभा सब -1, एमटीयू1001, बीपीटी 5204, राजेंद्र श्वेता, सबौर अर्धजल आदि आते हैं.

Also Read: मुंगेर: एसबीआइ की एटीएम काट कर लूटे 29.71 लाख रुपये, 20 घंटे बाद भी बैंक प्रबंधन ने नहीं दर्ज करायी प्राथमिकी
बुआई के लिए बीजोपचार जरूरी

बुआई के पूर्व बीज को उपचारित कर लेना काफी लाभदायक माना जाता है. इससे मिट्टी जनित रोगों से पौधों को सुरक्षा मिलता है. इसमें प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजीम 50 डब्लूपी या 2 ग्राम थीरम या 1 ग्राम कार्बेन्डाजीम 50 डब्लूपी एवं 2 ग्राम थीरम या 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरीडी से उपचारित कर बीज की बुआई करनी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें