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क्लब फुट से पीड़ित दो बच्चों का होगा निःशुल्क ऑपरेशन

जिले में क्लब फुट नामक जन्मजात विकार से पीड़ित दो बच्चों को उपचार के लिए भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) भेजा गया है.

सदर अस्पताल से जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजे गएऑपरेशन और उपचार की पूरी प्रक्रिया में बच्चों के परिवारों को कोई भी खर्च नहीं उठानी पड़ेगी – सिविल सर्जन किशनगंज. जिले में क्लब फुट नामक जन्मजात विकार से पीड़ित दो बच्चों को उपचार के लिए भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) भेजा गया है. क्लब फुट एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चों के पैर जन्म से ही अंदर और नीचे की ओर मुड़े होते हैं, जिससे वे सामान्य रूप से चलने-फिरने में असमर्थ होते हैं. क्लब फुट, जिसे टैलिप्स भी कहा जाता है, एक जन्मजात विकार है .जिसमें बच्चे के पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़े हुए होते हैं. यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो यह विकलांगता का कारण बन सकता है.

जेएलएनएमसीएच भागलपुर में उपचार के लिए भेजा है

जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत काम कर रहे डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) ने इन बच्चों की पहचान की और इनके इलाज की व्यवस्था की. आरबीएसके का मुख्य उद्देश्य 0 से 18 साल तक के बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करना और उनका समय पर इलाज कराना है. दिघलबेंक प्रखंड के 3 वर्षीया मरियम खातून एवं बहादुरगंज प्रखंड के 04 वर्षीय जुहि नाज की पहचान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम द्वारा की गई. टीम ने बच्चों के पैरों की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें जेएलएनएमसीएच भागलपुर में उपचार के लिए भेजा है, जहां उनका निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा.

ऑपरेशन और उपचार की पूरी प्रक्रिया में बच्चों के परिवारों को कोई भी खर्च नहीं पड़ेगा उठाना

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार के निर्देश पर बच्चों को तुरंत एम्बुलेंस के माध्यम से भागलपुर भेजा गया. सिविल सर्जन और आरबीएसके की टीम ने सुनिश्चित किया है कि इन बच्चों के परिवारों को इलाज के दौरान किसी भी प्रकार का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा. ऑपरेशन के बाद बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी भी की जाएगी, ताकि उनकी पूरी देखभाल हो सके. यह पहल सरकार द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता को दर्शाती है और प्रभावित परिवारों के लिए राहत की खबर है. ऑपरेशन के बाद भी बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति पर निगरानी रखी जाएगी. ऑपरेशन और उपचार की पूरी प्रक्रिया में बच्चों के परिवारों को कोई भी खर्च नहीं उठानी पड़ेगी.

18 साल तक के बच्चों के 30 तरह की बीमारियों का निःशुल्क किया जाता है उपचार

आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि आरबीएसके का उद्देश्य केवल बीमारियों की पहचान करना ही नहीं, बल्कि जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क इलाज मुहैया कराना भी है. इस मामले में, इन तीन बच्चों के ऑपरेशन के लिए परिवारों को किसी प्रकार की आर्थिक चिंता नहीं करनी पड़ी. आरबीएसके टीम ने बच्चों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर तक पहुँचाया, जहां इनका सफल ऑपरेशन किया जाएगा. ऑपरेशन के बाद, आरबीएसके टीम द्वारा नियमित रूप से बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं.राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के बच्चों के 30 तरह की बीमारियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को जन्मजात विकारों और अन्य गंभीर बीमारियों से निजात दिलाना है. सिविल सर्जन ने सभी अभिभावकों से आग्रह किया है कि वे अपने बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के लिए नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान से संपर्क कर सकते हैं और निःशुल्क उपचार का लाभ उठा सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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