किशनगंज. डयुशीन मस्कुलर डिस्ट्राफी एक दुर्लभ और घातक बीमारी है, जो 10 लाख भारतीयों में से सिर्फ 6 लोगों को है. इसमें मांसपेशियों में क्रोनिक कमजोरी होती है, जिसमें हृदय, फेफड़े, हड्डी संबंधित गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं और किसी भी प्रकार की सर्जरी के दौरान निश्चेतना जानलेवा साबित हो सकती है. एमजीएम मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी से ग्रस्त एक बच्चे की पित्त-थैली में पथरी का ऑपरेशन पूर्ण निश्चेतन द्वारा किया गया. इस बीमारी में सामान्यतः इस्तेमाल की जाने वाली निश्चेतना औषधियों के बेअसर अथवा घातक होने की काफी संभावना थी. निश्चेतना के पश्चात् मरीज को होश में वापस लाना भी काफी कठिन माना जाता है. इसको मद्देनज़र रखते हुए निश्चेतना विशेषज्ञ (एनेस्थेसियोलॉजिस्ट) डॉ शायन मांन्ना तथा डॉ शैलेन्द्र, डॉ अमित, डॉ हरप्रीत ने प्रमुख निरीक्षक डॉ प्रिथ्वीश भट्टाचार्य के नेतृत्व में रेमीफैंटानिल नामक विशेष दवा का इस्तेमाल किया तथा आपरेशन डॉ श्रीकांत के द्वारा किया गया. निश्चेतना प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण एवं जटिल थी किंतु इस अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं, मशीनों, औषधियों तथा कुशल एवं अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुशल प्रयास और विशेष निगरानी में बच्चे का यह कठिन ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.
क्या कहा रजिस्ट्रार
विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के द्वारा यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया. उन्होंने बताया कि सीमांचल में यह अपने आप में मेडिकल क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा. डॉ इच्छित भारत ने कहा कि निश्चेतना प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण एवं जटिल थी किन्तु हमारे अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं, मशीनों, औषधियों तथा कुशल एवं अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों के सराहनीय प्रयास से बच्चे का यह कठिन ऑपरेशन सफल हो पाया.
डॉ इच्छित भारत, रजिस्ट्रार, एमजीएम मेडिकल कॉलेजडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है