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सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने रजिस्ट्री ऑफिस की रौनक लौटा

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने रजिस्ट्री ऑफिस की रौनक लौटा दी है. पिछले डेढ़ माह से उच्च न्यायलय के फैसले के बाद से जमीनों की रजिस्ट्री में काफी गिरावट दर्ज की गई थी जो अब फिर से पूर्व की तरह होने की संभावना लोगों की व्यक्त की है.

ठाकुरगंज(किशनगंज).सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने रजिस्ट्री ऑफिस की रौनक लौटा दी है. पिछले डेढ़ माह से उच्च न्यायलय के फैसले के बाद से जमीनों की रजिस्ट्री में काफी गिरावट दर्ज की गई थी जो अब फिर से पूर्व की तरह होने की संभावना लोगों की व्यक्त की है. बस लोगो को इस मामले में बिहार सरकार के फैसले का इंतजार है्.

विक्रेता के नाम जमाबंदी न होने पर भी जमीन की बिक्री की संभावना

बताते चले जमीन की खरीद-बिक्री यानी रजिस्ट्री के लिए बिक्री करने वाले व्यक्ति के नाम जमाबंदी होने का नियम बिहार सरकार ने लागू किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है. इसके बाद अब फिर से पिता के नाम की जमीन की बिक्री पुत्र व पुत्रियां कर सकती है. यही नहीं, अगर पत्नी चाहती हैं, तो भी बिक्री कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला से इससे प्रभावित हो रही जनता के साथ रजिस्ट्री ऑफिस के स्टांप वेंडर व दस्तावेज नवीस (कातिबों) में खुशी की लहर है. लंबे समय बाद मंगलवार को सुबह से ही ऑफिस में भीड़ दिखी. जिन कातिब व स्टांप वेंडरों की गुमटी में सन्नाटा पसरा था, उसमें भी मंगलवार को भीड़भाड़ दिखी. हालांकि, विभाग की तरफ से अब तक सुप्रीम कोर्ट के फैसला के आलोक में कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी किया गया है, जिससे कि बिना जमाबंदी वाली जमीन की भी खरीद-बिक्री हो सके.

रजिस्ट्री ऑफिस में दिखी भीड़

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लंबे समय बाद रजिस्ट्री ऑफिस में भीड़ दिखने लगी है. जिन कातिब व स्टांप वेंडरों की गुमटी में सन्नाटा पसरा था, उसमें भी भीड़भाड़ दिखी. लोग अब पूछताछ करने आने लगे आगे. हालांकि विभाग की तरफ से अब तक सुप्रीम कोर्ट के फैसला के आलोक में कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी किया गया है, जिससे कि बिना जमाबंदी वाली जमीन की भी खरीद-बिक्री हो सके. कर्मचारी व अधिकारी विभागीय निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल, जिनके नाम जमाबंदी हैं, उन्हीं के द्वारा बिक्री करने पर रजिस्ट्री की जा रही है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि जमीन की रजिस्ट्री के लिए जमाबंदी होनी जरूरी है. इस आदेश के बाद से सूबे में बगैर जमाबंदी के भी जमीन की रजिस्ट्री हो सकती है. दरअसल, जब से हाईकोर्ट का नया आदेश जारी हुआ था तभी से संपत्तियों की रजिस्ट्री में लगातार कमी देखी जा रही थी. इसके खिलाफ कातिबों के अलावे आम पब्लिक की तरफ से भी एक साथ कई अपील याचिका सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गयी थी.

10 अक्टूबर 2019 को पहली बार लागू हुआ था नियम

जमीन रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहली बार 10 अक्टूबर 2019 को नियम लागू किया था. तब इसके खिलाफ कई याचिका हाईकोर्ट में दायर की गयी. कोर्ट ने 15 दिनों के भीतर ही 25 अक्टूबर को सरकार के फैसला पर रोक लगा दिया. तब से चल रही मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 09 फरवरी 2024 को सरकार के फैसला को सही करार देते हुए इसे लागू करने का आदेश दिया. इसके बाद सरकार ने 22 फरवरी को पत्र जारी कर इसे लागू किया था.

उच्च न्यायायलय के आदेश के बाद टूट गई थी भू माफियाओं की कमर

जमीन रजिस्ट्री में नए जमाबंदी नियमावली लागू हो होने के बाद भू माफिया की कमर अब टूट सी गई थी. पहले भू माफिया की शहर या बाजार के जिस कीमती भूखंड पर नजर लग जाती थी, उस परिवार के किसी एक सदस्य को लालच देकर अपना कब्जा जमा लेते थे. असली मालिक कोर्ट-कचहरी में फंसकर रह जाता था या अपराधियों के डर से अपना हक छोड़ देता था. लेकिन उच्च न्यायलय के आदेश के बाद जमीन की खरीद-बिक्री और निबंधन के लिए जमाबंदी में नाम का उल्लेख जरूरी हो गाया था. राजस्व दस्तावेजों में जिनके नाम से जमाबंदी कायम होगी, सिर्फ वही उस संपत्ति की बिक्री या पुन: निबंधन करा सकते थे. निबंधन कार्यालयों को जमाबंदी कायम होने का साक्ष्य देने पर ही आवेदक को संबंधित संपत्ति को बेचने की अनुमति देने को कहा गया था. जमीन विवाद के बढ़ते मामलों से निबटने के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर निबंधन विभाग ने यह नियम लागू किया था. इस आदेश का असर लंबा होने की संभावना थी. सरकार के राजस्व पर तो इसका असर पड़ा, लेकिन जमीन विवाद के मामले अब काफी हद तक घट जाते.

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