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KK Pathak केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे दिल्ली, बिहार सरकार ने दिया NOC

केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले हैं. आईएएस केके पाठक ने कुछ दिन पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को लेकर सरकार को पत्र लिखा था, जिसे अब सरकार ने हरी झंडी दे दी है.

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव KK Pathak जल्द ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जा सकते हैं. आईएएस केके पाठक ने कुछ दिन पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को लेकर सरकार को पत्र लिखा था, जिसे अब राज्य सरकार ने हरी झंडी देते हुए एनओसी दे दिया है. जिसके बाद अब केके पाठक शीघ्र ही केके पाठक शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव का पद छोड़ेंगे. केके पाठक के जाने से अब उन तमाम शिक्षकों की टेंशन कम हो जाएगी जो केके पाठक के आदेशों और फरमानों की वजह से परेशान थे.

केके पाठक के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के अनुरोध को मंजूरी

कब जाएंगे KK Pathak

जानकारी के मुताबिक केके पाठक अब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जायेंगे. लेकिन कब? तो इसके लिए हमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया को समझना होगा. यदि किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा या और भारतीय वन सेवा के अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना है, तो उस अधिकारी को पहले राज्य सरकार को आवेदन करना होता है और अनुमति लेनी होती है. इसके बाद राज्य सरकार आवेदन को अनुमति यानी एनओसी देती है. जिसे केंद्र सरकार को भेजा जाता है. जिसके बाद उस अधिकारी की पोस्टिंग केंद्र सरकार द्वारा की जाती है. ऐसे में अब केके पाठक उसी दिन अपर मुख्य सचिव का पद छोड़ देंगे, जिस दिन केंद्र सरकार द्वारा उनकी पोस्टिंग की जाएगी.

KK Pathak जून 2023 में बने थे शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव

बता दें कि केके पाठक ने जून 2023 में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पदभार संभाला था. इसके बाद से वो लगातार शिक्षा विभाग और स्कूल-कालेजों में लगातार बदलाव कर रहे थे. एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान शिक्षा विभाग ने ने करीब 200 से अधिक आधिकारिक पत्र जारी किए. शिक्षा विभाग को तंदुरुस्त करने के लिए जारी आदेशों की वजह से उनका खूब विरोध भी हुआ. कई मुद्दों को लेकर केके पाठक का राजभवन एवं बीपीएससी से भी टकराव हुआ.

बड़ी उपलब्धियां भी रहीं केके पाठक के खाते में

अगर कुछ एक विवादों को छोड़ दें तो राज्य में ढाई लाख शिक्षकों की नियुक्तियां उनके खाते में बड़ी उपलब्धि है. नियमावली में पारदर्शिता और पूरी प्रक्रिया में बरती गयी निष्पक्षता की वजह से यह भर्तियां विवादित नहीं रहीं. किसी को उंगली उठाने का मौका नहीं मिला. सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति के साथ ही करीब शत-प्रतिशत शिक्षकों की उपस्थिति भी उनकी बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है. स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में जबरदस्त सुविधा भी अहम है. इससे भी अहम रही, सॉफ्टवेयर के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति करना रहा. इसके अलावा भी कई अन्य उपलब्धियां भी उनके खाते में रहीं.

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