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क्यों मनाते हैं अक्षय तृतीया, जानें पूरी कहानी, गया में इस बार डेढ़ करोड़ से ज्यादा के कारोबार की उम्मीद

अक्षय तृतीया व्रत इस बार 23 अप्रैल को मनाया जायेगा. इस दिन पूजा-पाठ व अन्य सभी तरह के शुभ काम करने से उसका फल अक्षय होता है. कभी नष्ट न होने वाले इस फल की कामना को लेकर अक्षय तृतीया तिथि को सोने-चांदी के जेवरात खरीदने की धार्मिक, आध्यात्मिक, सनातनी व पौराणिक परंपरा देश की रही है.

अक्षय तृतीया व्रत इस बार 23 अप्रैल को मनाया जायेगा. इस दिन पूजा-पाठ व अन्य सभी तरह के शुभ काम करने से उसका फल अक्षय होता है. कभी नष्ट न होने वाले इस फल की कामना को लेकर अक्षय तृतीया तिथि को सोने-चांदी के जेवरात खरीदने की धार्मिक, आध्यात्मिक, सनातनी व पौराणिक परंपरा देश की रही है. सनातनी संस्कृति के लोग इस परंपरा का निर्वहन आज भी कर रहे हैं. लोग अपनी आर्थिक क्षमता व जरूरतों के अनुसार अक्षय तृतीया पर सोने व चांदी के जेवरातों की खरीदारी करने से नहीं चूकते हैं. इस बार अक्षय तृतीया पर शहर में डेढ़ करोड़ रुपये के सोने-चांदी के कारोबार की उम्मीद है.

सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में क्यूं जाना जाता है अक्षय तृतीया जानें पूरी कहानी 

वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. अक्षय तृतीया का उल्लेख पद्म पुराण, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण व मत्स्य पुराण में मिलता है. इन पुराणों के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. भगवान विष्णु ने नर नारायण हयग्रीव व परशुराम जी का अवतरण भी अक्षय तृतीया तिथि को हुआ था. रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु परशुराम के रूप में जन्म लिये, इस कारण अक्षय तृतीया तिथि को भगवान परशुराम जयंती मनायी जाती है. पद्म पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया को महाभारत युद्ध समाप्त हुआ. द्वापर युग का समापन भी इसी तिथि को ही हुआ था. अक्षय तृतीया तिथि की इतनी मान्यता है कि इस दिन बिना किसी मुहूर्त पंचांग देखे बिना भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, वधू प्रवेश, उपनयन, नया व्यापार गृह आरंभ, गृह प्रवेश, चौल मुहूर्त (मुंडण), द्विरागमन यात्रा, परिहार या अन्य सभी तरह के शुभ कार्य किये जा सकते हैं. किसान खेतों में हल प्रहवहण (खेती) का शुभारंभ भी इसी तिथि से करते हैं. नये वस्त्र, आभूषण, भूमि, वाहन खरीददारी संबंधित कार्य किये जा सकते हैं.पुराणों के अनुसार इस तिथि को पितरों के लिए किया गया तर्पण पिंडदान अथवा किसी प्रकार का किया गया दान जैसे भूमि, सोना, वस्त्र, भोजन, गौ दान से भी अक्षय फल की प्राप्ति होती है. अक्षय तृतीया तिथि को गंगा स्नान, माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु की आराधना से सभी पापों का नाश भी होता है. अक्षय तृतीया को जो भी दान किया जाता है, अक्षय हो जाता है. अक्षय तृतीया तिथि को दान देने वाला सूर्य लोक को प्राप्त होता है. इस तिथि को किये गये अच्छे व बुरे सभी कर्म स्नान, जप, स्वाध्याय, तर्पण अक्षय हो जाता है. इस दिन भूमि, गौ, तिल, वस्त्र, घी, धान, गुड़, चांदी, नमक, शहद, स्वर्ण, कन्या, यह सभी को दान करने का बड़ा महत्व है. कन्यादान इन सभी दानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, इसलिए इस दिन कन्या का विवाह किया जाता है. – डॉ ज्ञानेश भारद्वाज, निदेशक, भारद्वाज ज्योतिष शिक्षा-शोध संस्थान

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बीते वर्ष सवा करोड़ रुपये का हुआ था कारोबार

बीते वर्ष 2022 में अक्षय तृतीया तिथि को करीब सवा करोड़ रुपये के सोने-चांदी का कारोबार हुआ था. उन्होंने बताया कि इस बार वैवाहिक लगन भी नजदीक रहने से कारोबार काफी अच्छा होने की उम्मीद की जा रही है. उन्होंने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार होने की पूरी उम्मीद है.

नीरज कुमार, उपाध्यक्ष, बुलियन एसोसिएशन, गया

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