लखीसराय. जिले के तीन प्रखंड सूर्यगढ़ा, बड़हिया एवं लखीसराय में कालाजार खोज अभियान की शुरुआत हो गयी है. इस अभियान में आशा अपने-अपने क्षेत्र के सभी घरों में जाकर रोगी की पहचान करेगी. अभियान में अगर कही कोई मरीज मिलता है तो उसका इलाज निःशुल्क किया जायेगा, इस बात की जानकरी देते हुए सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा ने बताया की कालाजार बीमारी, लीशमैनियासिस नाम के प्रोटोज़ोअन परजीवियों के कारण होती है. यह बीमारी, संक्रमित मादा फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई के काटने से फैलती है. यह मक्खी, गीले वातावरण में सबसे ज्यादा सक्रिय होती है. ये परजीवी, आमतौर पर रात में और गर्मियों के दौरान ज्यादा सक्रिय होते हैं.
सदर अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा है उपलब्ध
मौके पर वेक्टर रोग सलाहकार नरेंद्र कुमार बताते हैं कि कालाजार मरीजों के जांच की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है. जबकि, सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है. जिसके कारण संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित पीएचसी द्वारा सदर अस्पताल रेफर किया जाता है. मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है. पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा चार हजार रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्हें दी जायेगी. साथ ही पाॅजिटिव मरीजों का सहयोग करने पर प्रति मरीज 500 रुपये संबंधित आशा कार्यकर्ता को दी जाती है. 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं. भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं . वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं.कालाजार के लक्षण
स्प्लीन व लीवर का बढ़ना लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आनावजन में लगातार कमी होनादुर्बलता
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