बिहार में भूमि निबंधन नियमों में बदलाव से आम लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. नये नियम के मुताबिक अब जमीन बेचने के लिए जमाबंदी जरूरी है. इसके अलावा जमाबंदी का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से लिंक होना भी जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो जमाबंदी को जोनल कार्यालय द्वारा लॉक कर दिया जायेगा. ऐसी स्थिति में रैयत केवल रसीद ही निर्गत कर सकेंगे और जमीन की खरीद-बिक्री नहीं कर सकेंगे. इसलिए अब जमाबंदी करना जरूरी हो गया है.
बढ़ी लोगों की परेशानी
जमीन बेचने एवं खरीदने वाले लोग इस नए नियम से काफी परेशान हैं. कई जमीन मालिकों ने जमीन बेचने के लिए आग्रिम राशि भी ले ली है, लेकिन अचानक नियम बदल जाने के कारण जमीन की रजिस्ट्री कैसे होगी इस विषय को लेकर जमीन खरीदने एवं बेचने वाले की बेचैनी बढ़ गयी है.
अधिकांश जमीन की जमाबंदी बाप दादा के नाम पर
लोगों का मानना है कि इस तरह की जटिल प्रक्रिया अधिक दिन तक नहीं टिक पायेगी. अभी भी बिहार में अधिकांश जमीन की जमाबंदी बाप दादा के नाम से ही है. कई लोग बड़े परिवार होने के कारण मौखिक रूप से जमीन को बांट कर जोत आबाद कर रहे हैं. पुराने लोगों के नाम से जमाबंदी होने के कारण अब वह जमीन को कैसे बेच या खरीद सकते हैं. इसकी चिंता बनी हुई है.
जमाबंदी कराने में हो रही कठिनाई
अधिकांश जमीन की जमाबंदी उनके नाम से है, जिनकी मौत वर्षों पूर्व हो चुकी है. सबसे बड़ी बात यह है कि पुराने लोगों के नाम से जमाबंदी होने के कारण दो-दो पुश्त तक अपने नाम से जमाबंदी नहीं करायी गयी है. इसके साथ ही अधिक सदस्य वाले परिवार भी बंट चुके हैं. ऐसे में अपने नाम से जमाबंदी कराने में उन्हें कई प्रकार के झमेले का सामना करना पड़ सकता है.
अंचल कार्यालय का काटना पड़ेगा चक्कर
पूर्वज के नाम से जमाबंदी को अपने नाम से कराने के लिए लोगों को अंचल कार्यालय का चक्कर काटना पड़ेगा. जमाबंदी को अपने नाम कराने के लिए जिस नाम से जमाबंदी है. अगर उसकी मौत हो गयी, तो उनका डेथ सर्टिफिकेट, बंटवारा कागजात, वंशावली, जमीन के कागजात के साथ-साथ पहचान प्रमाण पत्र संलग्न करना आवश्यक है. इसके साथ ही जमीन के हिस्सेदारों को अंचल कार्यालय पहुंचकर अपने-अपने हिस्से के बारे में बात कर सहमति पत्र देना होगा. इस तरह की जटिल प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही जमाबंदी को बदला जा सकता है.
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