लखीसराय. जिला मुख्यालय स्थित एनएच 80 के समीप अशोक धाम मोड़ के पास बने लखीसराय संग्रहालय के ऑडिटोरियम में सोमवार से तीन दिवसीय लाली पहाड़ी आगाज किया गया. जिसका शुभारंभ डीएम मिथिलेश मिश्र एवं आगंतुक अतिथियों द्वारा पौधे में पानी डालकर किया गया. जबकि आये हुए गणमान्य अतिथियों के बीच उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा ऑनलाइन सहभागिता देकर शुभकामना संदेश देते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. डिप्टी सीएम ने लाली पहाड़ी के मुख्यमंत्री द्वारा खुदाई कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि लाली पहाड़ी महोत्सव का अपना एक विशेष महत्व है. विरासत को लोग जाने विरासत के प्रति सजग रहें और अपने गौरव गाथा को आगे बढ़ाने में संकल्पित रहने का कार्य करें. भगवान बुद्ध के प्रवास, मां लक्ष्मी की आराधना प्रार्थना लक्ष्मी का निवास कृषि विशेषताओं से अलंकृत कृमिला नदी के तट पर बसा लखीसराय की विशेषता और विशिष्टता को नजदीक से लोग जाने इसका प्रयास सदैव हमारी ओर से होता रहेगा. स्काउट-गाइड के ड्रम संग मार्च से आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया गया. जबकि डीएम द्वारा पौधा देकर सम्मानित किया गया. बच्चियों द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति के बाद डीएम ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए लाली पहाड़ी की महत्ता, लखीसराय जिले के विभिन्न स्थल के पुरातात्विक महत्व के इतिहास पर प्रकाश डाला. लाली पहाड़ी महोत्सव के मुख्य समारोह में देश-विदेश के शिक्षाविद, पुरातत्वविद् एवं बुद्धिजीवी शिरकत करने पहुंचे हैं. बताते चलें कि लाली पहाड़ी का उत्खनन कार्य का शुभारंभ सर्वप्रथम 25 नवंबर 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा किया गया था. इसी उपलक्ष्य में तीन दिवसीय लाली पहाड़ी महोत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी किया जा रहा है. कार्यक्रम में शामिल विशिष्ट अतिथियों में डॉक्टर सुजीत नयन, प्रो आरके चट्टोपाध्याय, डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी, प्रो विकास चंद्र झा, लाली पहाड़ी की खुदाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रो अनिल कुमार, लंदन कार्डिफ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ फिओना वॉकी शामिल हैं.
महोत्सव पर लाली पहाड़ी बौद्ध पुरास्थल रहा वीरान
लखीसराय. 8वें महोत्सव पर सोमवार को बौद्धकालीन विश्वस्तरीय धरोहर लाली वीरान देखा गया. बिहार सरकार ने लाली पहाड़ी को राजकीय संरक्षित स्मारक घोषित किया. वर्ष 2017 में 25 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहर के वार्ड नंबर 33 स्थित लाली पहाड़ी को भगवान बौद्ध की तपोभूमि करार देते हुए इस पर उत्खनन का कार्य शुरू कराया था. उत्खनन का जिम्मा बिहार विरासत विकास समिति पटना एवं विश्वभारती विश्वविद्यालय शांति निकेतन सौंपी गयी थी. सीएम ने 26 करोड़ की राशि भी आवंटित की थी. उनके साथ उस समय बिहार सरकार में जल संसाधन, योजना एवं विकास विभाग तथा वर्तमान केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, तत्कालीन ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा, कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि एवं तत्कालीन सांसद सदस्य वीणा देवी मौजूद थीं. अपने 8वें वार्षिकोत्सव पर बौद्धकालीन लाली पहाड़ी का पुरास्थल वीरानगी पर आंसू बहा रहा है. इस अवसर पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त मेहमान शिक्षाविद, पुरातत्वविद और बुद्धिजीवियों डॉ सुजीत नयन, प्रो आरके चटोपाध्याय, डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी, प्रो विकास चंद्र झा, प्रो अनिल कुमार एवं डॉ फियोना वॉकी ने खूब व्याख्यान भी फरमाया, किंतु अपने आठवें महोत्सव पर बौद्धकालीन लाली पहाड़ी की चोटी वीरान दिखी. मुख्य प्रवेश द्वार खोल कर सुबह से बैठे हैं, कोई नहीं आया है.जिला प्रशासन ने किये सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध
हालांकि लाली पहाड़ी के प्रवेश द्वार से मुख्य गेट और बौद्धकालीन पुरास्थल की चोटी तक डीएम मिथिलेश मिश्र द्वारा बड़े पैमाने पर महिला व पुरुष पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की गयी थी. सुबह से शाम तक दो दंडाधिकारी भी तैनात रहे. प्रतिनियुक्त सुरक्षा कर्मी एवं अग्निशामक दल दंडाधिकारियों के साथ भूखे-प्यासे सुबह से शाम पांच बजे तक आला अधिकारियों, आगंतुक अतिथों एवं पर्यटकों के सुरक्षा में मुस्तैद रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है