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प्रारंभिक शिक्षकों का आइसीटी व एफएलएन प्रशिक्षण शुरू

प्रारंभिक शिक्षकों का आइसीटी व एफएलएन प्रशिक्षण शुरू

प्रतिनिधि, कुमारखंड

राज्य शिक्षा शोध व प्रशिक्षण परिषद,पटना के निदेशानुसार ई-शिक्षाकोष के माध्यम से प्राप्त सूची के अनुसार प्रारंभिक विद्यालयों के कक्षा 1-5 में कार्यरत शिक्षकों का एफएलएन व आइसीटी से संबंधित छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण 11 से 16 नवंबर तक प्राथमिक शिक्षक शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय,सुखासन-मंहरा में होगी. इसमें जिले के कुल 180 शिक्षकों को ई-शिक्षाकोष के माध्यम से प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए नामित किया गया है. प्रशिक्षण में प्रतिभागियों के लिए कई आदेश दिये गये हैं, जिसमें प्रशिक्षण के प्रथम दिन सभी प्रशिक्षु शिक्षकों को प्री-टेस्ट व प्रशिक्षण के अंतिम दिन पोस्ट लिया जायेगा. इसमें सभी प्रशिक्षुओं को शामिल होना आवश्यक है. इस दौरान प्रशिक्षक अभिषेक कुमार ने कहा कि आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता की अवधारणा बच्चे की सीखने की यात्रा का आधार बनती है. एफएलएन यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है कि बच्चे अपनी शिक्षा के शुरुआती वर्षों में मौलिक साक्षरता (पढ़ना और लिखना) और संख्यात्मकता (गणित) कौशल विकसित करें. इन मूलभूत क्षमताओं को अत्यधिक आवश्यक माना जाता है क्योंकि वे बच्चे के समग्र संज्ञानात्मक विकास को सुनिश्चित करते हैं और अगले वर्षों में सीखने के उन्नत स्तरों के लिए आधार के रूप में काम करते हैं.

आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता को आमतौर पर औपचारिक शिक्षा के शुरुआती वर्षों, जैसे कि प्रीस्कूल या प्राथमिक विद्यालय के पहले कुछ वर्षों के दौरान पेश किया जाता है क्योंकि बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान इन आधारभूत कौशलों को सीखने के लिए अधिक ग्रहणशील होते हैं. गणितज्ञ मंजुल भार्गव कहते हैं कि एक बार जब छात्र बुनियादी कौशल में पिछड़ जाते हैं, तो वे शायद ही कभी आगे बढ़ पाते हैं, और उनकी सीखने की अवस्था सपाट रहती है. इसके अलावा,जैसा कि एजुकेशन वीक ने कहा है,जो छात्र स्कूल के अपने शुरुआती वर्षों में संघर्ष करते हैं, वे बाद में बहुत कम ही आगे बढ़ पाते हैं.

इसलिए, प्रारंभिक हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है. कुल मिलाकर,आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता की अवधारणा को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह बच्चे की आगे की शिक्षा तक पहुंचने की क्षमता के लिए मंच तैयार करती है. ये बच्चे तब कार्यबल में प्रभावी रूप से भाग ले सकते हैं, और बड़े होने पर नागरिक जीवन में कुशलता से शामिल हो सकते हैं. साक्षरता व संख्यात्मकता में मजबूत आधारभूत कौशल के बिना, बच्चे जीवन के विभिन्न पहलुओं में संघर्ष कर सकते हैं.

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