मधेपुरा से कुमार आशीष
Lok Sabha Elections बात 1999 के संसदीय चुनाव की है. लोकसभा की मधेपुरा सीट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं. कारण था मंडल की राजनीति से उभरे दो दिग्गज नेताओं शरद यादव और लालू प्रसाद का चुनाव मैदान में होना. तब शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और लालू यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो. चुनाव में कांटे की टक्कर हुई. यादव बाहुल्य क्षेत्र में दो यादव दिग्गज आमने सामने थे.
शरद यादव को शिकस्त देने के लिए लालू यदाव जब उतरे थे चुनावी मैदान में
1999 के लोकसभा चुनाव के पहले मधेपुरा से शरद यादव दो बार (1991 व 1996) चुनाव जीत चुके थे. दूसरी ओर लालू प्रसाद 1998 में मधेपुरा से पहली बार चुनाव जीते थे. 1998 के चुनाव में लालू प्रसाद ने लगातार दो बार के विजेता रहे शरद यादव से मधेपुरा सीट छीन ली. एक साल बाद फिर चुनाव हुआ. इस बार भी शरद यादव को शिकस्त देने के लिए लालू प्रसाद चुनावी मैदान में पूरे दम-खम के साथ उतरे थे. यादव बाहुल्य क्षेत्र में बाहरी-भीतरी का नारा गूंजा. लालू प्रसाद बिहार के और शरद यादव मध्य प्रदेश के थे.
चुनाव में गड़बड़ी का लगया आरोप और फिर…
बताते हैं कि चुनाव के बाद शरद यादव हताश और निराश हो चुके थे. उन्होंने मान लिया था कि इस बार उनका जीतना नामुमकिन है. मतदान के बाद शरद यादव ने लालू प्रसाद पर चुनाव में जमकर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया. शरद यादव चुनाव रद्द कराने की मांग को लेकर मतगणना स्थल के बाहर धरना पर बैठ गये. इतना ही नहीं, उन्होंने पटना और दिल्ली स्थित निर्वाचन आयोग के कार्यालय के समक्ष भी पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को धरना पर बैठा दिया. शरद यादव के धरना पर बैठे होने की बात देशभर में फैल गयी.
लालू यादव चुनाव हार गए
मतगणना के दिन जब चुनाव परिणाम आने शुरू हुए, तब देशभर की निगाहें मधेपुरा के परिणाम पर ही टिकी हुई थीं. अंतिम रूप से चुनाव परिणाम की घोषणा हुई. शरद यादव को विजयी घोषित किया गया. इस चुनाव में शरद यादव को 328761 (49.7%), जबकि लालू प्रसाद को 298441 (45.2%) मत मिले थे. इस प्रकार लालू यादव के साथ दूसरी बार हुए चुनावी दंगल में शरद यादव उन्हें 30,320 मतों से शिकस्त देकर दिल्ली पहुंचने में कामयाब रहे. मधेपुरा के मतदाताओं ने बिहार के यादव दिग्गज की जगह मध्य प्रदेश के यादव दिग्गज पर विश्वास जताया.
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