Madhepura News : सविता नंदन, मधेपुरा. बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार हर पंचायत में एक किलोमीटर के दायरे में उत्क्रमित विद्यालय, मध्य विद्यालय, उच्च माध्यमिक इंटर स्तरीय विद्यालय बना रही है. जिस पंचायत में इंटर स्तरीय विद्यालय नहीं है, वहां मध्य विद्यालय को अपग्रेड कर उच्च माध्यमिक विद्यालय बना दिया गया है. ताकि वहां के स्थानीय बच्चों को इंटर तक की पढ़ाई करने के लिए अधिक दूरी तय नहीं करना पड़े. शिक्षा विभाग कागज पर तो विद्यालय को अपग्रेड कर देता है, लेकिन हकीकत में यह कागज पर ही सिमटा रह जाता है. बता दें कि मधेपुरा सदर प्रखंड क्षेत्र के मिठाई वार्ड नंबर एक स्थित आदर्श मध्य विद्यालय को 2019 में अपग्रेड कर उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय का दर्जा दे दिया गया. अब पांच साल से अधिक बीत जाने के बाद भी यहां नौवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई के लिए समुचित व्यवस्था नहीं करायी जा सकी है. ऐसे में बच्चों को पठन-पाठन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय मिठाई में कक्षा एक से 12वीं तक में कुल 550 छात्र नामांकित हैं. कक्षा एक से आठवीं तक 342, नौवीं में 140, दसवीं में 52, 11वीं में 44 एवं 12वीं में 17 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. प्रतिदिन 60 प्रतिशत उपस्थिति बनती है.
नौवीं से 12वीं तक के लिए नहीं हैं क्लासरूम
इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक के लिए जो भवन पहले से था. उसके अतिरिक्त नौवीं से 12वीं तक के लिए अब तक भवन उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस कारण नौवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई के लिए छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ताहै. एक ही कक्षा में दो क्लास के बच्चों को बैठा पढ़ाया जाता है. प्रधानाध्यापक सुभाषचंद्र देव ने बताया कि कक्षा एक से आठवीं तक के लिए विद्यालय में क्लासरूम पूरा है. यहां नौंवी से 12वीं तक के लिए क्लासरूम नहीं है. प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय को कुल 18 क्लासरूम की आवश्यकता है, लेकिन यहां केवल नौ कमरे उपलब्ध हैं. इससे छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ताहै.
नौवीं से 12वीं तक में सिर्फ सात शिक्षक हैं पदस्थापित
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय मिठाई में शिक्षकों की भी घोर कमी है. यहां प्रधानाध्यापक सहित 23 शिक्षक-शिक्षिकाएं पदस्थापित हैं. इसमें कुल 12 शिक्षक-शिक्षिकाएं बीपीएससी द्वारा पदस्थापित हैं. यहां कक्षा एक से आठवीं तक के लिए 13 शिक्षक, कक्षा नौवीं व दसवीं के लिए केवल तीन शिक्षक हैं.11वीं व 12वीं में केवल सात शिक्षकों के भरोसे उच्च शिक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है. यहां नौंवी व दसवीं कक्षा के लिए गणित, अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के लिए शिक्षक नहीं हैं. जबकि 11वीं व 12वीं में भी शिक्षकों की कमी है. हालांकि 9वीं व 12वीं में पदस्थापित कुल सात शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी द्वारा ही करायी गयी है.
प्रोजेक्टर-स्मार्ट टीवी है, नहीं है चहारदीवारी
विद्यालय में चहारदीवारी भी है. इससे विद्यालय को कभी-कभी नुकसान उठाना पड़ताहै. जानकारी के मुताबिक, विद्यालय में लगे चापाकल को प्रतिदिन छुट्टी के बाद खोलकर कमरे में बंद कर दिया जाता है. विद्यालय में चहारदीवारी नहीं होने के कारण विद्यालय में चोरी की आशंका बनी रहती है. विद्यालय के पीछे जंगल है और नदी बहती है. जंगली और जलीय जीव का भी भय बना होता है. ज्ञात हो कि विद्यालय में प्रोजेक्टर भी लगे हैं. वही स्मार्ट क्लास में स्मार्ट टीवी भी लगा हुआ है. लेकिन चहारदीवारी नहीं होने के कारण विद्यालय पूरी तरह से असुरक्षित है. विद्यालय में कमरे की अभाव के कारण स्मार्ट क्लास का संचालन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है. स्मार्ट क्लास में ही नौवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है. ऐसे में मधेपुरा जिले के इस स्कूल पर विभाग को ध्यान देने की जरूरत है.
एनजीओ के एमडीएम की क्वालिटी नहीं है अच्छी
कक्षा एक से आठवीं तक के लिए एमडीएमचलाये जा रहे हैं. प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र देव ने बताया कि मध्याह्न भोजन एनजीओ द्वारा बनाकर बाहर से भेजा जाता है. इसमें कभी-कभी बच्चों की संख्या अधिक होने पर भोजन की कमी हो जाती है. एनजीओ द्वारा भेजे गये खाना की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है. इसके अलावा सुबह का बना हुआ खाना दोपहर तक ठंडा हो जाता है. इतना ही नहीं, गर्मी के समय में अधिक समय तक खाना बंद रहने के कारण खराब हो जाता है. बच्चे खाना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में फूड प्वाइजनिंग का भी डर बना रहता है.