-थीसिस की प्लेगरिजम जांच के लिए केवल तीन मौके- -साहित्यिक चोरी 10 प्रतिशत के भीतर है यह एचओडी करेंगे सत्यापित- -ड्रिलबिट एक्सट्रीम सॉफ्टवेयर से की जायेगी प्लेगरिजम के लिए थीसिस की जांच- प्रतिनिधि मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में शोध प्रबंध (थीसिस) प्रस्तुत करने व साहित्यिक चोरी (प्लेगरिजम चेक) जांच के लिए दिशा निर्देश के साथ एक अधिसूचना बीएनएमयू कुलपति प्रो डा विमलेंदु शेखर झा के आदेश पर बीएनएमयू कुलसचिव प्रो डा बिपिन कुमार राय ने जारी कर दी है. अधिसूचना के साथ जारी 14 पॉइंट का दिशा निर्देश कुलसचिव प्रो डा बिपिन कुमार राय व प्लेगरिजम डिटेक्शन सेंटर के विश्वविद्यालय समन्वयक प्रो डा एमआई रहमान के संयुक्त हस्ताक्षर से जारी की गई है. -प्रक्रियाओं के अनुसार ही साहित्यिक चोरी जांच केंद्र में भेजें- शोधार्थियों की थीसिस को संबंधित विभाग द्वारा साहित्यिक चोरी की जांच के लिए केवल जारी दिशा-निर्देश के तहत ही निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार ही साहित्यिक चोरी जांच केंद्र में भेजा जायेगा. प्री-पीएचडी प्रस्तुतियों के सफल समापन के बाद, पीएचडी छात्र साहित्यिक चोरी की जांच के लिए शोध पर्यवेक्षक एवं विभागाध्यक्ष द्वारा उचित रूप से अग्रेषित आवेदन के साथ थीसिस के मसौदे की सॉफ्ट कांपी साझा करेगा. जिसमें यह घोषणा होगी कि थीसिस पूरी तरह या आंशिक रूप से न तो दूसरों के काम या स्रोतों से कांपी की गई है और न ही चोरी की गई है. -विभागाध्यक्ष के माध्यम से विश्वविद्यालय समन्वयक को भेजें- कवर पेज के साथ सार एवं अध्याय कवर पेज को छोड़कर सभी अध्याय, प्रमाण पत्र, घोषणा, पावती, सामग्री की तालिका, तालिकाओं की सूची, आंकड़ों की सूची, शोध छात्रों द्वारा साहित्यिक चोरी की जांच के लिए प्रतीकों की सूची, संक्षिप्ताक्षरों की सूची एवं संदर्भ व ग्रंथसूची तथा परिशिष्टों को संबंधित विभागाध्यक्ष के माध्यम से विश्वविद्यालय समन्वयक को भेजा जायेगा. यह मान लिया जायेगा कि उद्धृत सभी पाठ उद्धरण चिह्नों के भीतर रखे गये हैं. -समानता जांच परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करेगा छात्र- थीसिस की साहित्यिक चोरी की जांच बीएनएमयूद्वारा सब्सक्राइब किए गए समानता जांच सॉफ्टवेयर यानी ड्रिलबिट-एक्सट्रीम सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ही किया जायेगा. समानता की जांच सार से लेकर थीसिस के अंतिम अध्याय के अंतिम पृष्ठ तक की जायेगी स्ट्रिंग की लंबाई 14 शब्दों की होगी. छात्र साहित्यिक चोरी का पता लगाने वाले केंद्र के कार्यालय से समानता के प्रतिशत के साथ विधिवत हस्ताक्षरित विस्तृत समानता जांच परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करेगा और उसे संबंधित विभागाध्यक्ष को प्रस्तुत करेगा. -विभागाध्यक्ष सत्यापित करेंगे समानता की सीमा- विभागाध्यक्ष यह सत्यापित करेंगे कि समानता की सीमा अनुमत सीमा यानी 10 प्रतिशत के भीतर है. अनुमेय समानता सूचकांक 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा. हालांकि किसी भी एकल स्रोत से समानता के लिए अनुमेय सीमा तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होगी. बशर्ते कि दोहरावपूर्ण अभिव्यक्ति, सूत्र, समीकरण, अधिनियम एवं सामान्य ज्ञान की अन्य ऐसी अभिव्यक्तियों के कारण स्वीकार्य सीमा 10 प्रतिशत से अधिक की समग्र समानता सूचकांक वाली थीसिस भी स्वीकार की जा सकती है, यदि विधिवत गठित डीआरसी उचित, औचित्य एवं कारणों के साथ थीसिस को मंजूरी देती है. -डीआरसी अध्यक्ष के साथ किया जायेगा साझा- 10 प्रतिशत से अधिक समानता सूचकांक डीआरसी के अध्यक्ष द्वारा संबंधित विभागीय शैक्षणिक अखंडता पैनल (डीएआईपी) के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा. डीएआईपी प्रासंगिक यूजीसी नियमों के अनुसार प्रक्रियाओं का पालन करेगा. यदि डीएआईपी डीआरसी द्वारा शामिल किये गये तर्क से सहमत है तो वह इसे अपनी बैठक में पेश करेगा और डीआरसी अध्यक्ष के साथ इसे साझा करेगा. ऐसे मामलों में डीआरसी अध्यक्ष छात्र को प्रासंगिक डीएआईपी बैठक के कार्यवृत्त के साथ थीसिस जमा करने की सलाह देगा. -पीजीआरसी को भेजी जायेगी पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश- समानता का प्रतिशत 10 प्रतिशत से अधिक होने की स्थिति में किसी भी थीसिस पर विचार नहीं किया जायेगा. शोधार्थियों को साहित्यिक चोरी का पता लगाने वाले सॉफ्टवेयर द्वारा अपनी थीसिस की जांच कराने के लिए केवल तीन मौके दिए जायेंगे. यदि तीसरी बार भी थीसिस में मानक प्रतिशत से अधिक साहित्यिक चोरी पाई जाती है, तो ऐसे शोधार्थियों को विश्वविद्यालय के कुलपति से विशेष अनुमति लेनी होगी और यह मौका अंतिम माना जायेगा. यदि साहित्यिक चोरी का प्रतिशत अभी भी अधिक पाया जाता है, तो पीएचडी, पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश डीआरसी द्वारा पीजीआरसी को भेजी जायेगी. -थीसिस की सॉफ्ट कांपी साहित्यिक चोरी जांच केंद्र में करें जमा- ऐसे शोध छात्र जिनकी थीसिस जमा करने की अवधि पूरी हो चुकी है या पूरी होने वाली है, वे पंजीकरण की अवधि पूरी होने से कम से कम दो महीने पहले अपने आवेदन को उचित रूप से अग्रेषित करके ड्राफ्ट थीसिस की सॉफ्ट कांपी साहित्यिक चोरी जांच केंद्र में जमा करेंगे. यदि उनकी थीसिस को विश्वविद्यालय में जमा करने की अवधि में दो महीने से कम समय बचा है तो उनकी थीसिस साहित्यिक चोरी जांच के लिए साहित्यिक चोरी जांच केंद्र द्वारा तब तक स्वीकार नहीं की जायेगी जब तक कि कुलपति का अनुमोदन प्राप्त न हो जाये.
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