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सड़क किनारे रखी एंबुलेंस को खा गयी है जंग, हुआ बेकार

सड़क किनारे रखी एंबुलेंस को खा गयी है जंग, हुआ बेकार

प्रतिनिधि, मधेपुरा

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण सदर अस्पताल समेत जिले के कई पीएचसी की बेकार पड़ी एंबुलेंस को जंग खा रही है, लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति व सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी के अधिकारियों की नजर इस पर नहीं पर रही है. इसके कारण सरकार को करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो रहा है. शहर के विभिन्न स्थानों पर सड़क किनारे वर्षों से मरम्मत के नाम पर खड़ी एंबुलेंस बेकार हो चुकी है. ऐसा नहीं है कि संबंधित अधिकारी इस बात से अंजान हैं. एंबुलेंस के इस हालात की जानकारी सभी को है, लेकिन किसी भी अधिकारी के द्वारा इस दिशा में ठोस पहल नहीं की गयी.

एंबुलेंस के हालात में नजर आ रही है अधिकारियों की लापरवाही

एंबुलेंस की हालत बदतर हो चुकी है. शायद एक भी एंबुलेंस अब चलने की स्थिति में नहीं है. एंबुलेंस की स्थिति देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब एंबुलेंस रद्दी के भाव में ही बिकेगा. मंगलवार को जब प्रभात खबर द्वारा शहर के विभिन्न स्थानों पर रखे एंबुलेंस की पड़ताल किया गया तो उसमें जिला स्वास्थ्य समिति, सदर अस्पताल व पीएचसी के अधिकारियों की लापरवाही नजर आ रही थी. बेकार पड़ी एंबुलेंस की मरम्मत करा कर सभी पीएचसी में दे दिया जाता, तो ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को परेशानी से नहीं जूझना पड़ता.

सदर अस्पताल के अलावा जिले के विभिन्न पीएचसी का है एंबुलेंस

जिले के मरीजों की सुविधा के लिए संचालित सरकारी एबुलेंस जिला मुख्यालय के सड़क किनारे पड़ी-पड़ी खराब हो चुकी है. इन एंबुलेंस में कई पर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय तो कई पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग का नाम लिखा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह भारत व बिहार सरकार के द्वारा जिले के मरीजों की सुविधा के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को दी गयी है. एंबुलेंस पर लिखे स्थानों के नाम से यह स्पष्ट होता है कि यह एंबुलेंस सदर अस्पताल के अलावा जिले के विभिन्न पीएचसी का है.

नशेड़ियों का अड्डा बन गया है एंबुलेंस, अंदर का सामान गायब

जिला मुख्यालय के विभिन्न स्थानों पर सड़क किनारे एंबुलेंस खड़ी नजर आती है. यह एंबुलेंस सड़क को ही अपना गैरेज बना चुकी हैं. साथ ही यह एंबुलेंस यातायात प्रभावित कर रहा है. लोगों का कहना है कि सदर अस्पताल व पीएचसी परिसर में जगह की कमी कारण एंबुलेंस यहां लगा दिया गया है, जिससे आमलोगों को दिक्कत होती. खराब पड़ी एंबुलेंस को मरम्मत करा दिया जाय, तो मरीजों व परिजनों को बाहरी एंबुलेंस का नहीं सहारा लेना पड़ेगा. कई एंबुलेंस पर जंगल उगे हुए हैं तो कई एंबुलेंस नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. कई एंबुलेंस की हालत देख कर यह लगता है कि अंदर की सारी चीजें गायब हो चुकी है, बस डब्बा बचा हुआ है.

इन जगहों पर दिखता है बेकार एंबुलेंस

प्रभात खबर पड़ताल के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के आगे सड़क किनारे तीन एंबुलेंस, मवेशी अस्पताल के समीप सड़क किनारे एक एंबुलेंस, वार्ड नंबर 13 स्थित हाजरा मस्जिद के रास्ते किनारे दो एंबुलेंस व पुरानी बस स्टैंड से मस्जिद चौक वाली सड़क किनारे एक एंबुलेंस बेकार देखा गया. यानी सिर्फ इन चार जगहों पर सात बेकार एंबुलेंस देखा गया.

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बेकार एंबुलेंस से संबंधित कार्य नई कंपनी को दे दी गयी है. एक सप्ताह के अंदर नई कंपनी कार्य शुरू कर देगी.

डाॅ मिथिलेश ठाकुर, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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