पटना. राज्य भर में श्रम संसाधन विभाग ने जिलों की रैंकिंग जारी की है. इसमें विभागीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने में मधुबनी अव्वल है. दूसरे नंबर पर दरभंगा और तीसरे नंबर पर समस्तीपुर है. वहीं, नालंदा सबसे निचले पायदान पर है. विभाग की ओर पिछले तीन माह से जिलों की मासिक रैंकिंग बनायी जा रही है, लेकिन, पहली बार अक्तूबर में रैंकिंग को पब्लिक डाेमेन में डाला गया है. अब विभाग ने निर्णय लिया है कि लगातार जिस जिले की रैंकिंग खराब होगी, उस जिले के श्रम अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जायेगा और स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं होगा, तो कार्रवाई होगी.
रैंकिंग में जिलों को इस तरह से अंक दिया जायेगा
अधिकारियों के मुताबिक बाल श्रम से संबंधित गतिविधियों के लिए 10 अंक तय हुआ है. विमुक्त बाल श्रमिकों के पुनस्र्थपन के लिए पांच अंक, भवन निर्माण से संबंधित गतिविधियों के लिए 15 अंक, भवन निर्माण से संबंधित सभी मजदूरों के कार्य ऑनलाइन निबटाने के लिए 15 अंक, कर वसूली के लिए 10 अंक, जबकि असंगठित क्षेत्र के कामगारों से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 10 अंक मिलेगा. प्रवासी कामगारों के लिए पांच अंक, श्रम प्रवर्तन कार्यालय पर निगरानी के लिए 10 अंक, लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के लिए 20 अंक तय किया गया है.
इस कारण से हो रही है रैंकिंग
सरकार के कई विभागों की ओर से हर महीने अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा के लिए रैंकिंग की जा रही है. उसी तर्ज पर श्रम संसाधन विभाग ने भी रैंकिंग शुरू की है. विभाग न केवल श्रम योजनाओं बल्कि नियोजन के लिए भी अलग से रैंकिंग कर रहा है. उसकी रिपोर्ट अलग से प्रकाशित होती है. अधिकारियों के अनुसार रैंकिंग के आधार पर काम में कोताही बरतने वालों पर कार्रवाई होगी. वहीं, भविष्य में जब अधिकारियों की फील्ड पोस्टिंग होगी तब काम को ही आधार माना जायेगा. काम के आधार पर पोस्टिंग होने से पैरवी की संभावना खत्महो जायेगी.
जिलों की रैंकिंग
रैंकिंग के मुताबिक मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, भभुआ, शेखपुरा, पूर्णिया, सारण, जमुई, बेगूसराय, औरंगाबाद, बक्सर, खगड़िया, पूर्वी चम्पारण, शिवहर, अरवल, वैशाली, रोहतास, किशनगंज, मुंगेर, सीवान, जहानाबाद, नवादा, अररिया, सुपौल, पश्चिम चंपारण, कटिहार, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, गया, सहरसा, पटना, भागलपुर, भोजपुर, लखीसराय, बांका और नालंदा.