मधुबनी. प्रति वर्ष मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है. लोगों तक अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी पहुंचाने एवं बीमारी के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए संपूर्ण विश्व में इसका आयोजन होता है. अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो कि फेफड़ों पर आक्रमण कर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है. ऐसे में अस्थमा के मरीजों की सहायता करना भी इस दिन का मकसद है. विश्व अस्थमा दिवस के लिए इस वर्ष का थीम, “जागरूकता और सशक्तीकरण ” रखा गया है. इस थीम पर पूरे वर्ष यक्ष्मा विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. अस्थमा एक लंबे वक्त तक होने वाली सूजन संबंधित बीमारी है. जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करता है.
सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से दवाई का सेवन करना चाहिए. अधिकांश अस्थमा के मरीज दवा लेते हैं, नियमित दवा लेने से कई प्रकार की परेशानी उत्पन्न होने की संभावना नहीं के बराबर होती है. चिकित्सक ने अगर नियमित दवा खाने के लिए कहा है तो लापरवाही न बरतें और इस पर अमल करें. दवा का एक भी डोज छूटे नहीं, इसका ध्यान रखें.
बचाव के तरीके
अस्थमा के मरीजों को धूल, धुआं एवं परागकणों से बचने की जरूरत है.
भीड़भाड़ में जाने से पूरी तरह से बचें.
अगर पहले से अस्थमा की दवाओं का सेवन कर रहे हों या इनहेलर ले रहे हों तो कोरोना होने पर भी बिना डॉक्टर की सलाह के उसे नहीं छोड़ें.
खुली और ताजी हवा में रहेंअस्थमा से पीड़ित मरीजों को अधिकांश समय खुली और ताजा हवा में बिताना चाहिए. पर्याप्त रोशनी लेनी चाहिए. ताजे और शुद्ध पेयजल का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए. हल्का भोजन खाना चाहिए. भारी भोजन के सेवन से सांस लेने में परेशानी हो सकती है. अस्थमा के मरीजों को भोजन धीरे-धीरे एवं खूब चबाकर खाना चाहिए. ऐसे मरीज दिन में आठ से दस बार पानी का सेवन करें. अस्थमा के मरीज को हल्का भोजन करें, तले हुए पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. अधिक मीठा, ठंडा पानी, दही का सेवन भी नहीं करें. अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए. कोल्ड ड्रिंक के सेवन से भी परहेज करना चाहिए.
अस्थमा के लक्षण
अस्थमा के लक्षणों में मुख्य रूप से सांस लेने में कठिनाई होने लगती है, क्योंकि श्वास नलियों में सूजन आने के कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है. इसके अलावे खांसी, घबराहट तथा सीने में जकड़न व भारीपन होना, फेफड़ों में लंबे समय तक कफ जमे रहना, नाड़ी गति का बढ़ जाना, सांस लेते समय सीटी की आवाज का आना आदि अस्थमा के लक्षण हैं. इन बातों का रखें ध्यान नम और उमस भरे क्षेत्र को नियमित रूप से सुखाते रहें बाथरूम की नियमित रूप से सफाई करें एक्जॉस्ट फैन का उपयोग करें और घर में नमी न होने दें भीगे कपड़े से फर्श की सफाई करें रोजाना सांस लेने का कोई व्यायाम करें मोटा तकिया रखकर सोएंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है