मधुबनी. अगस्त के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है. स्तनपान न सिर्फ नवजातों में मृत्यु दर को कम करता है. बल्कि यह स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी फायदेमंद होता है. जन्म के प्रथम घंटे में नवजात शिशु को स्तनपान कराने से नवजातों में मृत्यु दर की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है. डायरिया और निमोनिया के खतरे भी 11 से 15 गुणा कम हो जाता है. पहले छह माह तक स्तनपान से नवजातों का शारीरिक एवं मानसिक विकास में भी वृद्धि होने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होता है. आज हर व्यक्ति इम्युनिटी बढ़ाने के पीछे भाग रहा है. बाजार में इम्युनिटी बूस्टर धड़ल्ले से बिक रहे हैं. घर पर भी लोग इम्युनिटी बढ़ाने की तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं. लेकिन अगर बच्चों के लिए प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर की बात करें तो वह मां का दूध है. मां के दूध में पाये जाने वाले पोषक तत्व बच्चे को जीवन भर इम्युनिटी प्रदान करता है. यह नवजात के लिए प्रथम टीके के रूप में कार्य करता है जो उसे विभिन्न प्रकार के रोगों एवं मृत्यु से बचाता है. इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा. ये बातें सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कही. उन्होंने कहा कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा.
स्वास्थ्य संस्थानों में होगा स्तनपान कक्ष
सीएस ने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कक्ष बनाया जाएगा. स्तनपान कक्ष का निर्माण विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में स्थापित कंगारू मदर केयर यूनिट के अतिरिक्त होगा. विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान किसी एक दिन जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें धात्री माताओं को स्तनपान के महत्व के साथ शिशु की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक जानकारी दी जायेगी. आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान प्रारंभ करने में मां की सहायता करने के साथ माताओं को छह माह तक अपने शिशु को केवल स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करेगी.
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