बेनीपट्टी. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नयी दिल्ली के निर्देश के आलोक में रविवार को बेनीपट्टी अनुमंडलीय उपकारा का जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनामिका टी, एडीजे 12 अनूप कुमार सिंह व बेनीपट्टी व्यवहार न्यायालय के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजीत कुमार सोनू समेत अन्य न्यायाधीशों ने निरीक्षण किया. इससे पहले जिला एवं सत्र न्यायाधीश और एडीजे-12 ने केंद्र प्रायोजित योजना के तहत मधुबनी न्याय मंडल अंतर्गत अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय बेनीपट्टी के परिसर में बन रहे जी प्लस 5 श्रेणी के 10 कोर्ट भवन के निर्माण कार्यों का जायजा लिया. इस क्रम में डीजे समेत सभी न्यायाधीशों ने हर मंजिल पर पहुंचकर कमरे, बिजली वायरिंग, शौचालय, पेयजल, इजलास के लिये चल रहे कार्यों, पार्किंग, चहारदीवारी, लिफ्ट, हाजत व भवन के रंगरोगण आदि का जायजा लेकर संबंधित अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये. बता दें कि भवन निर्माण विभाग के द्वारा करीब 21 करोड़ 5 लाख 49 हजार 397 रुपये की लागत से 10 कोर्ट भवन का निर्माण जी प्लस 5 श्रेणी का सभी आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त भवन का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि न्यायालय का बेहतर ढंग से सुसंचालन सुनिश्चित किया जा सके. सभी अभिलेखों को संरक्षित रखा जा सके. इसके बाद न्यायाधीशों ने उपकारा का निरीक्षण किया. जहां उपकारा में बंद कैदियों के आवासन, भोजन, पेयजल, शौचालय, स्वास्थ्य और साफ सफाई आदि की जानकारी ली. न्यायाधीशों की टीम ने कैदियों के रखने की व्यवस्था, बंदी रखे जानेवाले कमरों की साफ-सफाई, महिला वार्ड, जूविनाइल वार्ड, भोजन, पेयजल की उपलब्धता, बंदियों को मिलने वाला भोजन की गुणवत्ता, उपकारा भवन, शौचालय व मूत्रालय की साफ सफाई, उपकारा स्थित चिकित्सीय सुविधा, नियमित स्वास्थ्य जांच व बंदियों के स्वास्थ्य सेवा की स्थिति का अवलोकन किया और उपकारा प्रबंधन को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये. इस क्रम में न्यायाधीशों ने कैदियों के बीच जाकर जेल प्रशासन द्वारा बंदियों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी ली. मसलन कैदियों को मिलने वाला सुबह का नाश्ता, दिन का खाना, रात के खाना के डाइट का शेड्यूल कैसा है और उसके अनुसार कैदियों को भोजन मिल रहा है या नही, इसकी जानकारी प्राप्त की. इस दौरान बंदियों ने केश स्टेटस की जानकारी नही मिल पाने की बात कही तो न्यायाधीशों ने बेनीपट्टी व्यवहार न्यायालय को निर्देश दिये कि अलग से समय निकालकर बंदियों को केश स्टेटस की जानकारी मुहैया कराई जाए. इसके बाद जेल में चल रहे विधिक सहायता केंद्र का भी निरीक्षण किया गया तथा विधिक सहायता केंद्र में कैदियों के लिये दी जाने वाली विधिक सहायता के बारे में जानकारी जेल प्रशासन से प्राप्त की. इस दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने व्यवहार न्यायालय व उपकारा के अधिकारियों को निर्देशित किया कि विधिक सहायता के माध्यम से बंदियों को अधिक से अधिक विधिक सेवा का लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जाना जरूरी है. मौके पर व्यवहार न्यायालय बेनीपट्टी के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह अध्यक्ष अनुमंडल विधिक सेवा समिति रंजीत कुमार सोनू, मुंसिफ सह न्यायिक दंडाधिकारी मो. शोएब, मधुबनी कोर्ट प्रबंधक मो. सरफराज, बेनीपट्टी उपकारा अधीक्षक, लोक अदालत के मो. सलमान व बेनीपट्टी व्यवहार न्यायालय प्रशासन राज कुमार समेत अन्य लोग भी मौजूद थे. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देश के आलोक में रविवार को बेनीपट्टी अनुमंडलीय उपकारा का जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनामिका टी, एडीजे 12 अनूप कुमार सिंह व बेनीपट्टी व्यवहार न्यायालय के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजीत कुमार सोनू समेत अन्य न्यायाधीशों ने निरीक्षण किया. इससे पहले जिला एवं सत्र न्यायाधीश और एडीजे-12 ने केंद्र प्रायोजित योजना के तहत मधुबनी न्याय मंडल अंतर्गत अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय बेनीपट्टी के परिसर में बन रहे जी प्लस 5 श्रेणी के 10 कोर्ट भवन के निर्माण कार्यों का जायजा लिया. इस क्रम में डीजे समेत सभी न्यायाधीशों ने हर मंजिल पर पहुंचकर कमरे, बिजली वायरिंग, शौचालय, पेयजल, इजलास के लिये चल रहे कार्यों, पार्किंग, चहारदीवारी, लिफ्ट, हाजत व भवन के रंगरोगण आदि का जायजा लेकर संबंधित अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये. बता दें कि भवन निर्माण विभाग के द्वारा करीब 21 करोड़ 5 लाख 49 हजार 397 रुपये की लागत से 10 कोर्ट भवन का निर्माण जी प्लस 5 श्रेणी का सभी आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त भवन का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि न्यायालय का बेहतर ढंग से सुसंचालन सुनिश्चित किया जा सके. सभी अभिलेखों को संरक्षित रखा जा सके. इसके बाद न्यायाधीशों ने उपकारा का निरीक्षण किया. जहां उपकारा में बंद कैदियों के आवासन, भोजन, पेयजल, शौचालय, स्वास्थ्य और साफ सफाई आदि की जानकारी ली. न्यायाधीशों की टीम ने कैदियों के रखने की व्यवस्था, बंदी रखे जानेवाले कमरों की साफ-सफाई, महिला वार्ड, जूविनाइल वार्ड, भोजन, पेयजल की उपलब्धता, बंदियों को मिलने वाला भोजन की गुणवत्ता, उपकारा भवन, शौचालय व मूत्रालय की साफ सफाई, उपकारा स्थित चिकित्सीय सुविधा, नियमित स्वास्थ्य जांच व बंदियों के स्वास्थ्य सेवा की स्थिति का अवलोकन किया और उपकारा प्रबंधन को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये. इस क्रम में न्यायाधीशों ने कैदियों के बीच जाकर जेल प्रशासन द्वारा बंदियों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी ली. मसलन कैदियों को मिलने वाला सुबह का नाश्ता, दिन का खाना, रात के खाना के डाइट का शेड्यूल कैसा है और उसके अनुसार कैदियों को भोजन मिल रहा है या नही, इसकी जानकारी प्राप्त की. इस दौरान बंदियों ने केश स्टेटस की जानकारी नही मिल पाने की बात कही तो न्यायाधीशों ने बेनीपट्टी व्यवहार न्यायालय को निर्देश दिये कि अलग से समय निकालकर बंदियों को केश स्टेटस की जानकारी मुहैया कराई जाए. इसके बाद जेल में चल रहे विधिक सहायता केंद्र का भी निरीक्षण किया गया तथा विधिक सहायता केंद्र में कैदियों के लिये दी जाने वाली विधिक सहायता के बारे में जानकारी जेल प्रशासन से प्राप्त की. इस दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने व्यवहार न्यायालय व उपकारा के अधिकारियों को निर्देशित किया कि विधिक सहायता के माध्यम से बंदियों को अधिक से अधिक विधिक सेवा का लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जाना जरूरी है. मौके पर व्यवहार न्यायालय बेनीपट्टी के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह अध्यक्ष अनुमंडल विधिक सेवा समिति रंजीत कुमार सोनू, मुंसिफ सह न्यायिक दंडाधिकारी मो. शोएब, मधुबनी कोर्ट प्रबंधक मो. सरफराज, बेनीपट्टी उपकारा अधीक्षक, लोक अदालत के मो. सलमान व बेनीपट्टी व्यवहार न्यायालय प्रशासन राज कुमार समेत अन्य लोग भी मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है