बिहार: कोसी और पूर्णिया प्रमंडल समेत पूरे मिथिला के जलजमाव वाले इलाकों के लिए मखाना अब वरदान साबित होने लगा है. खास तौर पर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय द्वारा दी गई तकनीक ने किसानों की किस्मत बदल दी है. आज इन इलाकों के किसान जल जमाव वाले बेकार पड़े रहने वाले भूखंड से सफेद सोना निकाल रहे हैं जिसकी मांग विदेशों तक हो रही है. पूर्णिया कृषि काॅलेज के वैज्ञानिकों और बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की इस पहल ने किसानों की आर्थिक प्रगति का मार्ग खोल दिया है. यह जानकारी देते हुए बिहार कृषि विश्वविद्याल सबौर भागलपुर के कुलपति प्रो. डॉ. डीआर सिंह ने बताया कि बहुत ही तेजी से बिहार राज्य के मखाना उत्पादक जिलों क्रमश: पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा एवं पश्चिम चम्पारण में सबौर मखाना के क्षेत्र का विस्तार हुआ है. कुलपति डा. सिंह ने कहा कि इसके लिए यहां के कृषि वैज्ञानिकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. किसानों को जागरुक कर मखाना उत्पादन की न केवल तकनीक बतायी गई बल्कि उनके उत्पाद के लिए विस्तृत बाजार देने का सार्थक प्रयास भी किया गया.
गौरतलब है कि कृषि महाविद्यालय के अथक प्रयास से वर्ष 2019 में बिहार के 9.12 लाख हेक्टेयर जलजमाव क्षेत्रों के उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता में वृद्धि के लिए उद्यान निदेशालय, पटना के राज्य बागवानी मिशन अंतर्गत मखाना विकास योजना को दिसम्बर 2019 में कृषि मंत्री द्वारा लांच किया गया था. इसके साथ ही मखाना को जल जीवन हरियाली विकास योजना में शामिल कर विभिन्न जिलास्तरीय उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मुख्य मंत्री नीतीश कुमार द्वारा इन इलाकों के मखाना उत्पादकों को सबौर मखाना-1 का बीज वितरण किया गया. इन क्षेत्रों में मखाना के उन्नतशील प्रजाति के प्रचार-प्रसार की योजना को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के तकनीकी मार्गदर्शन में बिहार कृषि विश्वविद्याल, सबौर के कुलपति प्रो. डॉ. डी. आर. सिंह के निर्देशन पर पूरी तन्मयता के साथ चलाया जा रहा है.
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कृषि कालेज के प्राचार्य डा. पारस नाथ के तकनीकी मार्गदर्शन में मखाना अनुसंधान टीम के वैज्ञानिकों क्रमश: मखाना अनुसंधान परियोजना के प्रघान अन्वेषक डॉ. अनिल कुमार, डॉ. पंकज कुमार यादव, डॉ. गोपाल लाल चौधरी, डॉ. तपन गोराई, डॉ. रूबि साहा द्वारा उन्नतशील प्रजाति सबौर मखाना-1 की बढ़ती मांग को पुरा करने के लिए सम्बन्धित सभी जिलों में बीज उत्पादन का कार्य चलाया जा रहा है. इसके साथ ही किसानों से ऑनलाईन सम्पर्क स्थापित कर समस्याओं का निदान किया जा रहा है.
मखाना उत्पादन और इसकी तकनीक को बढ़ावा देने में कृषि कालेज समेत पूर्णिया व कोशी के कृषि विज्ञान केन्द्र के 32 वैज्ञानिक लगातार लगे हुए हैं. इसमें पूर्णिया, कोशी व मिथिलांचल के सभी जिलों के सहायक निदेशक उद्यान के प्रयास से वर्ष 2022-23 में मखाना के संबंधित उत्पादक जिलों में मखाना के उन्नतशील प्रजाति सबौर मखाना-1 का राज्य बागवानी मिशन के मखाना विकास योजना अंतर्गत लगभग कुल 1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 1500 से अधिक किसानों के खेत में प्रत्यक्षण किया गया है.
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क्र.सं. मखाना उत्पादक जिला क्षेत्रफल (हेक्टेयर)
1 मधुबनी 175
2 सहरसा 140
3 मधेपुरा 140
4 पूर्णिया 140
5 कटिहार 140
6 किशनगंज 90
7 अररिया 140
8 पश्चिम चम्पारण 16.5
9 सीतामढ़ी 10
10 दरभंगा 145
11 सुपौल 100