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EXPLAINER: बिहार में एनडीए और महागठबंधन के दलों के पास कितना है जनाधार? नए खेमे बनने के बाद जानें गणित..

EXPLAINER: मिशन 2024 यानी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दल अब एकजुट हो रहे हैं. दिल्ली में एनडीए ने अपनी बैठक की और कुनबे को बढ़ाया. जबकि महागठबंधन के अलावे अन्य दलों ने विपक्षी एकता की बैठक की. जानिए बिहार में किस दल के पास कितना समर्थन है.

EXPLAINER: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी अब सत्ताधारी गठबंधन एनडीए और विपक्ष दोनों ने जोर-शोर से शुरू कर दी है. मंगलवार को दोनों खेमों की बड़ी बैठक चली जिससे पूरे देश का सियासी पारा गरमाया रहा. बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहल पर एकतरफ जहां विपक्षी दलों ने भाजपा को हराने के लिए एकजुट होना शुरू किया है. उधर, हैट्रिक जीत हासिल करने के लिए अब एनडीए ने अपना कुनबा बढ़ा लिया है. विपक्षी एकता के लिए बिहार से महागठबंधन की पार्टियां भी जुड़ी हैं. जबकि एनडीए ने बिहार के चार सियासी दलों के नेताओं को अपने साथ जोड़ा है.

एनडीए और विपक्ष की बैठकें

दिल्ली के होटल अशोका में मंगलवार को एनडीए ने बैठक की तो इसमें बिहार के 4 सियासी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था. लोजपा रामविलास के नेता चिराग पासवान ने इस बैठक से पहले ही अपनी पार्टी को एनडीए में शामिल कर लिया था. वहीं हम पार्टी की ओर से जीतन राम मांझी व उनके बेटे सह पूर्व मंत्री संतोष सुमन भी इस बैठक में शामिल हुए. जबकि रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को भी इस बैठक में शामिल किया गया. एनडीए की बैठक में कुल 39 घटक दलों के प्रमुख नेता पहुंचे थे.वहीं विपक्ष की बैठक में बेंगलुरु में 26 दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए.

महागठबंधन के  दलों के पास कितना वोट?

बता दें कि विपक्षी एकता की बात तब छिड़ी जब जदयू ने एनडीए से खुद को बिहार में अलग कर लिया और नीतीश कुमार ने राजद के साथ सरकार बनाई. नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने राज्यों का दौरा किया और पटना में विपक्षी दलों की पहली बड़ी बैठक आयोजित हुई. भाजपा से अलग होकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू ने महागठबंधन की कुल 7 पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई. वर्तमान में महागठबंधन की बात करें तो जदयू के पास सबसे अधिक 22.6 फीसदी वोटर हैं. जबकि राजद के पास 15.68 प्रतिशत, कांग्रेस के पास 7.85 फीसदी, भाकपा-माले के पास 1.36 प्रतिशत, माकपा के पास 0.07 प्रतिशत और भाकपा के पास 0.7 प्रतिशत वोट है. यानी बिहार के जो दल विपक्षी एकता के साथ है उनके पास बिहार में कुल 48.26 फीसदी वोट है.

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एनडीए के दलों के पास कितना वोट

अब बात एनडीए की करें तो बिहार में भाजपा व उसके साथी दलों के पास कुल 38.13 फीसदी वोट हैं. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा के दोनों खेमे अब एनडीए के साथ हैं. भाजपा के पास सबसे अधिक 24.06 प्रतिशत वोट हैं तो वहीं हम पार्टी के पास 2.39 प्रतिशत वोट हैं. लोजपा को 8.02 प्रतिशत जनता का साथ मिला था वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 3.66 प्रतिशत जनता ने वोट दिया था.

4 दल अभी भी किसी के साथ नहीं

बताते चलें कि बिहार में अभी भी कुछ दल ऐसे भी हैं जिसको किसी भी खेमे ने अपने साथ शामिल नहीं किया है. ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम, मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी, पप्पू यादव की पार्टी जाप और मायावती की पार्टी बसपा का भी बिहार में जनाधार है लेकिन ये दल अभी स्वतंत्र ही हैं. इनके पास 4 प्रतिशत से अधिक वोट हैं. ऐसी संभावना देखी जा रही है कि इन दलों की ओर से थर्ड फ्रंट बनाने की पहल हो सकती है.

बिहार में सियासी समीकरण लगातार बदलते रहे

गौरतलब है कि बिहार में सियासी समीकरण लगातार बदलते रहे हैं. पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में साथ रही जदयू व भाजपा की राह अब अलग-अलग है. वहीं चिराग पासवान ने अब एनडीए में अपनी पार्टी को शामिल कर लिया है. जदयू के मजबूत नेता रहे उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी से बगावत की और नयी पार्टी का गठन किया. उपेंद्र कुशवाहा भी अब एनडीए के साथ हैं. वहीं नीतीश कुमार के बेहद करीब रहे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी अब महागठबंधन से खुद को किनारे कर लिया है. हम पार्टी के दोनों प्रमुख नेता (जीतन राम मांझी व संतोष सुमन) एनडीए की बैठक में शामिल हुए.

कितना मिलेगा लाभ? 

बिहार में जब भाजपा अचानक विपक्ष में आकर बैठ गयी तो ऐसा लग रहा था कि बीजेपी अलग-थलग पड़ी है. लेकिन अब बीजेपी ने एनडीए का कुनबा बढ़ाया है. छोटे-छोट दलों को भी अपने साथ लिया है. जबकि जिन दलों के शीर्ष नेताओं से भाजपा की अधिक तल्खी रही है उसे इस जुटान से अलग ही रखा है. देखना यह है कि ये जुटान दोनों खेमों को कितना अधिक लाभ दे पाएगा. विपक्षी दलों की अगली बैठक मुंबई में होने जा रही है. जिसमें अब विपक्षी एकजुटता की दिशा में एक कदम और बढ़ने की संभावना है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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