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केंद्रीय विवि की शैक्षणिक व सांस्कृतिक यात्रा का हिस्सा बनेगा राधा वन

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक और साहित्यिक परिषद् के तत्वाधान में 11 तुलसी के पौधाें का रोपण कर "राधा वन " की स्थापना की गयी.

मोतिहारी. महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक और साहित्यिक परिषद् के तत्वाधान में 11 तुलसी के पौधाें का रोपण कर “राधा वन ” की स्थापना की गयी. कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि राधा वन की स्थापना निस्संदेह हमारे विश्वविद्यालय के ज्ञान के क्षेत्र में एक नई परंपरा की शुरुआत है. इस वन में 11 तुलसी के पौधों का रोपण किया गया है, जो न केवल पर्यावरण की सुरक्षा और शुद्धि के प्रतीक हैं, बल्कि हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का भी अभिन्न अंग हैं. तुलसी के पौधों का चयन इस वन के लिए अत्यंत विचारपूर्वक किया गया है, क्योंकि तुलसी का पौधा भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है. इसे न केवल स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, बल्कि यह हमारे धार्मिक अनुष्ठानों और दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.उन्होंने कहा कि राधा वन का उद्देश्य केवल एक स्मारक वन की स्थापना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक जीवंत और बढ़ते हुए पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित करना है. इस वन का विस्तार और इसका सतत विकास हमारे विश्वविद्यालय की शैक्षिक और सांस्कृतिक यात्रा का हिस्सा बनेगा.विश्वविद्यालय का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनमोल धरोहर साबित होगा, जो उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने और संस्कृति के प्रति गर्व की भावना को विकसित करने में सहायता करेगा.सांस्कृतिक और साहित्यिक परिषद् के अध्यक्ष और मुख्य कुलानुशासक प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने कहा कि यह वन हमारे विश्वविद्यालय के ज्ञान के क्षेत्र में एक स्थायी और सशक्त साक्षी बनेगा. हम इस वन क्षेत्र को निरंतर बढ़ाते और विकसित करते रहेंगे, ताकि यह हमारे विश्वविद्यालय के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहे. केंद्रीय विश्वविद्यालय के जन-संपर्क प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. श्याम नन्दन ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीवास्तव की स्व. माता राधा श्रीवास्तव की स्मृति में प्रो. प्रसून दत्त सिंह के नेतृत्व में सांस्कृतिक एवं साहित्यिक परिषद ने एक यह पहल की है. डॉ. नन्दन ने कहा कि यह राधा वन, हमारे विश्वविद्यालय परिसर में हरियाली का प्रतीक बनेगा और यह हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहरों और मूल्यों से जुड़े रहने का संदेश भी देगा. इस अवसर पर डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ श्वेता, डॉ बबलू पाल, डॉ. गोविंद प्रसाद वर्मा, डॉ. अनुपम वर्मा, डॉ गरिमा तिवारी, डॉ. विश्वजीत बर्मन सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक,विद्यार्थी एवं अन्य शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे .

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