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पत्रकार समाज की समस्या व आवाज को उठाने का करते हैं काम : डीएम

समाहरणालय स्थित डॉ राधाकृष्णन भवन सभागार में शनिवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर पत्रकारिता का बदलता स्वरूप विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

मोतिहारी. समाहरणालय स्थित डॉ राधाकृष्णन भवन सभागार में शनिवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर पत्रकारिता का बदलता स्वरूप विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का उद्घाटन डीएम सौरभ जोरवाल, पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात व नगर आयुक्त सौरभ सुमन यादव ने संयुक्त रूप से किया. डीएम ने कहा कि अखबारों और सोशल मीडिया से ही बहुत बातों की त्वरित वह सही जानकारी प्रशासनिक महकमों और आमजनों तक पहुंचती है, जिसपर प्रशासन के द्वारा संज्ञान लिया जाता है और कार्रवाई भी की जाती है. उन्होंने पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकार न केवल समाज को सूचित ही नहीं करते हैं, बल्कि उसकी समस्याओं और आवाजों को भी उठाते हैं. उन्होंने मीडिया के स्वतंत्र कार्यक्षेत्र को प्रोत्साहित करते हुए, सम्मान स्वरूप मोमेंटो की जगह किताब भेंट करने की नई परंपरा को शुरू करने का सुझाव दिया. पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने कहा कि सोशल मीडिया हो या प्रिंट सभी को सही बातों को प्रसारित करने की आजादी है. प्रशासन और पत्रकार दोनों जनता के हित में ही कार्य करते है. पत्रकारिता एक स्वतंत्र संस्था है. पत्रकारों के लेखनी का बहुत महत्व है. पत्रकारों यह हर ध्यान रखना चाहिए कि सही बातों को प्रसारित करें. नगर आयुक्त सुमन सौरभ यादव ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी मिली समस्याओं का भी शीघ्र समाधान कराया जाता है. प्रिंट और सोशल मीडिया समस्याओं की जानकारी के लिए एक सशक्त माध्यम है. संगोष्ठी के दौरान जिले के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडे समेत अन्य पत्रकारों ने भी पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किया. इस संगोष्ठी में उपस्थित सभी ने एकजुट होकर पत्रकारिता के सकारात्मक पक्ष को बढ़ावा देने का संकल्प लिया. डीपीआरओ ज्ञानेश्वर कुमार ने संगोष्ठी के समापन पर सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया और इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी के प्रति आभार प्रकट किया. कहा कि इस प्रकार के आयोजन पत्रकारों को एक मंच प्रदान करते हैं, जहां वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के अपने संकल्प को दृढ़ कर सकते हैं. संगोष्ठी में जिलेभर के पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारियों और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिस्सा लिया. इन बिंदुओं पर हुई चर्चा परिचर्चा में पत्रकारिता को संवैधानिक दर्जा देने की आवश्यकता को प्रमुखता से उठाया गया. वहीं पत्रकारों से समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने का आग्रह किया गया. मोमेंटो की जगह पुस्तकें देने की नई परंपरा शुरू करने का सुझाव व बुके की जगह पौधा भेंट करने की परंपरा को बढ़ावा देने की अपील की गयी. वहीं न्यू मीडिया और सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देने के विषयों पर चर्चाएं हुई.

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