Munger news : जिले में आये दिन नयी-नयी इमारतें खड़ी हो रही हैं. इन इमारतों को खड़ा करने में गिट्टी और बालू का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है. इसके लिए बकायदा पूरे जिले में सप्लायरों ने अपनी-अपनी दुकानें खोल रखी हैं. पर, जब कुछ ऐसे ही डिपो की पड़ताल की गयी, तो किसी के पास भी खनन विभाग का स्टॉकिस्ट लाइसेंस नहीं था. न चालान और न ही लाइसेंस, फिर भी यह काला धंधा शान से यहां चल रहा है. हालात यह है प्रतिदिन लाखों में हो रहे इस कारोबार से न तो सरकार को राजस्व मिल रहा है और न ही उपभोक्ताओं को राहत है. यानी सरकारी खजाने और उपभोक्ताओं दोनों को बालू-गिट्टी के अवैध कारोबारी चूना लगा रहे हैं और खुद मालामाल हो रहे हैं.
मात्र दो लाइसेंस खनन विभाग से हैं जारी
जिला खनन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में मात्र दो लाइसेंसधारी हैं, जिनको स्टॉक करने और चालान पर उसकी ढुलाई करने का अधिकार है. यह लाइसेंसधारी कोई और नहीं, बल्कि मुंगेर-मिर्जाचौकी फोरलेन का काम कर रही कंपनी मोंटीकार्लोहै. इसके अलावा जिले में किसी भी डिपो के पास इसका लाइसेंस नहीं है. जबकि मुंगेर शहर और शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में 50 से अधिक बालू-गिट्टी के डिपो चल रहे हैं, जो पूरी तरह से अवैध हैं.
शहर से लेकर गांव तक फैला है अवैध कारोबार
गिट्टी-बालू की बिक्री बिना चालान और बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से हो रही है. मुंगेर शहर के कासिम बाजार थाना के हेरूदियारा से लेकर करबल्ला व चुआबाग तक दर्जन भर अवैध डिपो हैं. यहां तक कि ईंट भट्ठा पर भी अवैध रूप से बालू को स्टॉक कर रखा गया है, जहां से ट्रैक्टर के माध्यम से उसकी बिक्री की जा रही है. इसके साथ ही मकससपुर, सफियासराय व मुंगेर- जमालपुर मार्ग में भी कई अवैध डिपो का संचालन हो रहा है. इसके अलावा शहर के वासदेवपुर, नीलम रोड, मुफस्सिल थाना के सुजावलपुर, मुबारकचक कब्रिस्तान के समीप, मुंगेर-सीताकुंड मुख्य मार्ग कटरिया, आइटीसी क्वार्टर के समीप, नौवागढ़ी समेत अन्य दर्जनों जगहों पर यह गोरखधंधा चल रहा है.
जिम्मेदारों के मौन समर्थन से फल-फूल रहा धंधा
अवैध खनिज सामग्री बेचने के लिए खनन विभाग से स्टॉकिस्ट का लाइसेंस लेना अनिवार्य है. अगर इस कारोबार को कोई नियम विरुद्ध करता है तो खनन विभाग की टीम छापेमारी कर उसका स्टॉक जब्त कर उससे जुर्माना वसूल करेगी. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर अवैध कारोबारियों के खिलाफ संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. पर, कार्रवाई के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति होती है. जगह-जगह सड़क किनारे आपको बालू व गिट्टी का स्टॉक दिख जायेगा, लेकिन जिम्मेदारों को यह दिखायी नहीं पड़ता है, जबकि सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर से बालू व गिट्टी की ढुलाई बिना चालान के होती है. पर, जिम्मेदार इन ट्रैक्टरों को पकड़ते तक नहीं है. जानकार बताते हैं कि खानन विभाग और संबंधित थानाें की मिलीभगत से यह कारोबार मुंगेर में फल-फूल रहा है.
सरकारी खजाने और उपभोक्ताओं दोनों को लगा रहे चूना
वर्तमान समय में बालू का उत्खनन पूरे बिहार में बंद है, जो अक्तूबर तक जारी रहेगा. अवैध डीपो में जो बालू व गिट्टी पहुंच रहा है, वह स्टॉक चालान पर पहुंच रहा है. ट्रक चालकों के स्टॉक चालान पर ही बालू-गिट्टी के कारोबारी डीपो चला रहे हैं. एक डिपो संचालक ने बताया कि 100 सीएफटी बालू वर्तमान समय में 6500 से 7000 रुपये है. गिट्टी प्रति 100 सीएफटी 9500 से 9800 रुपये है. प्रतिदिन 50 लाख का कारोबार सिर्फ शहरी क्षेत्र एवं शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है. पर, सरकार को एक चवन्नी भी राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है. इतना ही नहीं यह कारोबार सिर्फ सरकार को नहीं उपभोक्ताओं को भी चूना लगा रहा है, क्योंकि जिस ट्रैक्टर पर 100 सीएफटी बालू व गिट्टी कह कर उपभोक्ताओं को बेचा जाता है, उसमें 70 से 80 सीएफटी ही बालू व गिट्टी रहता है.
अभियान चलाकर होगी कार्रवाई
खनन विभाग मुंगेर के प्रभारी पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि शीघ्र ही टीम तैयार कर अवैध रूप से सड़क किनारे बालू व गिट्टी का कारोबार करनेवालों पर शिकंजा कसा जायेगा. जो भी अपने डिपो में बालू व गिट्टी का बड़े पैमाने पर स्टॉक कर कारोबार कर रहा है, उसके खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जायेगी.