विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज में एमयू के परीक्षा नियंत्रक ने पर्यावरण व कानून पर ली विशेष मुंगेर जिस प्रकार से विश्व में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बिना किसी लगाम के हो रहा है. उसका ही नतीजा है कि आज हम क्लाइमेट चेंज जैसी बड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं और इसी के लिए अब पर्यावरण कानून प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक हो गया है, ताकि हम अपने सीमित प्राकृतिक संसाधनों की उपयोगिता को समझ कर उसका सही इस्तेमाल कर सकते हैं. उक्त बातें विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज में मुंगेर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक सह गणित के विशेषज्ञ प्रो. अमर कुमार ने पर्यावरण व कानून विषय पर आयोजित विशेष सत्र के दौरान कही. इस दौरान कॉलेज के प्राचार्य राजेश कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम की शुरूआत विषय प्रवेश के साथ की. परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि मानव जीवन को व्यवस्थित रखने के लिए कानून सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है. ऐसे में अब जिस प्रकार से पर्यावरण के साथ लोग खिलवाड़ कर रहे हैं. उससे आने वाले समय में मानव जीवन पर ही संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसे में पर्यावरण कानून मानव जीवन की तरह ही पर्यावरण को व्यवस्थित रखने के लिए जरूरी है. उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 भारत की संसद का एक अधिनियम है. यह मई 1986 में अधिनियमित किया गया था और 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ. इसमें 26 धाराएं और 4 अध्याय हैं. यह हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करता है. इस दौरान उन्होंने मनु स्मृति में भी पर्यावरण बचाव के नियमों का उल्लेख करते हुये विद्यार्थियों को पर्यावरण बचाव के प्रति जागरूक होने को कहा. उन्होंने कहा कि यदि पर्यावरण को संरक्षित रखना है तो हमें पहले खुद आगे आना होगा, ताकि हम दूसरों का इसके लिये जागरूक कर सकें. विशेष सत्र के दौरान परीक्षा नियंत्रक और एलएलबी के विद्यार्थियों के बीच पर्यावरण लॉ को लेकर कई प्रश्न भी पूछे गये. साथ ही पूछे गये प्रश्नों पर चर्चा की गयी. मौके पर डा. शैलेश कुमार मिश्रा, पवन कुमार झा, असीत कुमार सिंह, कुंदन कुमार साह, डा. मनीष कुमार आदि मौजूद थे.
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