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बच्चे का पहला गुरु होती हैं मां : देवदत्त झा

सरयू के तीरे खेले रघुनंदन बबुआ... गीत ने झूमे श्रद्धालु

मुंगेर. शहर के मोगल बाजार स्थित मां दशभुजी दुर्गा मंदिर में चल रहे श्रीराम नवाह कथा के तीसरे दिन वाराणसी से आए ब्राह्मण गौतम झा, शांतनु तिवारी और छोटे बाबा ने श्री गणेश, षोडश, नवग्रह, मुख्य कलश तथा श्री रामचन्द्र भगवान की पूजा करायी. वहीं कथावाचक अयोध्या से पधारे देवदत्त झा मुचुकुन्द जी महाराज ने बताया कि तीनों लोकों के स्वामी ने माता कौशल्या के गोद में आने पर छोटा रूप बना लिया. जिससे पता चलता है कि मां की ममता के समक्ष भगवान भी झुकते हैं. इस दौरान भए प्रकट् कृपाला गीत गाकर उन्होंने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. साथ ही भगवान के बाल लीला का चित्रण किया. उन्होंने कहा कि भगवान जन्म लिए और रोने लगे. भगवान पहली बार भक्त के लिए रोए. वहीं कथा के दौरान ठुमुक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया गीत ने भक्तों को झुमा दिया. ब्रह्मांड का दर्शन यशोदा और माता कौशल्या को ही कराने का चित्रण लोगों को भाव विभोर कर दिया. वहीं सरयू के तीरे खेले रघुनंदन बबुआ गीत ने श्रोताओं को झुमाने के लिए मजबूर कर दिया. उन्होंने कहा कि भगवान का चूड़ाकरण हुआ, फिर गुरुकुल गुरु वशिष्ठ के आश्रम पहुंचे. बच्चे का पहला गुरु माता होती है. भगवान राम के विवाह का वृतांत सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया. मौके पर दीपक कुमार, सुरेंद्र प्रसाद, दीपक कुमार, धीरेन्द्र प्रसाद, राजेन्द्र मंडल, उमेश कुमार, अशोक मिश्रा, गोपाल मिस्त्री, संतोष कुमार, विनोद वर्मा, गणेश मुखिया आदि मौजूद थे.

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