Munger News : मुंगेर. ई-रिक्शा के बढ़ते दबाव ने शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त कर दी है. इससे पूरा शहर जाम की समस्या से कराह रहा है. बाजार का मुख्य मार्ग हो अथवा लिंक मार्ग, हर मार्ग में ई-रिक्शा की कतार देखने को मिल रही है. चालक परिवहन नियमों को ताक पर अपनी ही धुन में सड़कों पर दौड़ा रहा है. ई-रिक्शा चालकों की मनमानी से आम राहगीर परेशान हैं. हद तो यह है कि नाबालिग और वृद्ध के हाथों में ई-रिक्शा की स्टेयरिंग है. इस कारण यात्रियों की जान हमेशा जोखिम में रहती है.
न रूट तय और न स्टैंड का पता, लग रहा जाम
पिछले चार-पांच सालों में ई-रिक्शा में बेतहाशा वृद्धि हुई है. लेकिन जिम्मेदारों ने न तो आज तक ई-रिक्शा के लिए रूट तय किया और न ही इनके लिए कोई स्टैंड बनाया है. इस कारण ई-रिक्शा शहर में जाम का कारण बन गया है. शहर के मुख्य मार्गों पर झुंड बनाकर ई-रिक्शा को दौड़ाया जा रहा है. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ताहै. जबकि ऑटो रिक्शा विनियमन योजना में ई-रिक्शा के लिए भी रूट व स्टैंड होना अनिवार्य है. लेकिन नियमों को ताक पर रख कर मुंगेर की सड़कों पर ई-रिक्शा का परिचालन हो रहा है. लगातार इनकी संख्या में इजाफा ही हो रहा है.
सुगम यातायात के बदले लोगों के लिए बना सिर दर्द
यात्री परिवहन के लिए ये सबसे सस्ते साधन के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन वर्तमान में यह सुगम यातायात के बदले लोगों के लिए सिर दर्द साबित हो रहा है. क्योंकि जहां मन होता है, वहीं पर ई-रिक्शा को रोक कर सवारी बैठाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. विदित हो कि दो वर्ष पूर्व ध्वस्त होती ट्रैफिक व्यवस्था को देखते हुए सरकारी बस स्टैंड में ई-रिक्शा के लिए ठहराव की व्यवस्था की गयी थी. जबकि शहर में एक नंबर ट्रैफिक से गांधी चौक के बीच ई-रिक्शा के परिचालन पर प्रतिबंध लगाया गया था. लेकिन 10 दिनों में ही यह व्यवस्था ध्वस्त हो गयी और ई-रिक्शा चालकों की मनमानी शहर की सड़कों पर जारी हो गयी थी, जो आज भी जारी है.
बिना निबंधन के ही सड़कों पर फर्राटा भर रहा ई-रिक्शा
मुंगेर. शहर की सड़कों पर चलने वाले अधिकांश ई-रिक्शा परिवहन विभाग में निबंधित नहीं हैं. जबकि परिवहन नियम के अनुसार ई-रिक्शा का निबंधन होना जरूरी है. परिवहन विभाग की मानें तो पिछले चार वर्षों में 2000 के लगभग ई-रिक्शा का निबंधन परिवहन विभाग में हुआ है. 1 जनवरी 2023 से मई 2024 तक में 1332 ई-रिक्शा का निबंधन किया गया है. इसमें 7 ई-रिक्शा माल ढोने वाला है. लेकिन मुंगेर शहर की सड़कों पर 5000 से अधिक ई-रिक्शा फर्राटा भर रहे हैं. इस पर नियंत्रण करने वाला कोई नहीं है.
नाबालिग व वृद्ध के हाथों में स्टेरिंग, जोखिम में जान
मुंगेर शहर में चलने वाले अधिकांश ई-रिक्शा की स्टेयरिंग नाबालिग व वृद्ध ने थाम रखी है. इस कारण ई-रिक्शा पर बैठने वाले यात्रियों की जान पर हमेशा जोखिम बना रहता है. हर रोज ई-रिक्शा दुर्घटना की सूचना मिलती है. इसका मुख्य कारण है ई-रिक्शा चालक प्रशिक्षित नहीं हैं. नियमानुसार ई-रिक्शा चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस लेने का भी प्रावधान है. लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है. अगर यातायात थाना, परिवहन विभाग जांच करें तो अधिकांश चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलेगा.