Munger news : मुंगेर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो श्यामा राय का कार्यकाल 19 अगस्त को समाप्त हो रहा है. पर, 19 अगस्त को विश्वविद्यालय में रक्षा बंधन का अवकाश है. ऐसे में कुलपति का कार्यकाल शनिवार को ही कार्य के बाद लगभग समाप्त हो चुका है. कुलपति के तीन साल के कार्यकाल में भले ही कई बड़े दावे किये गये, लेकिन हकीकत यह है कि तीन वर्षों का कार्यकाल उनके आधी-अधूरी उपलब्धियों के बीच ही समाप्त हो गया. इसके कारण एमयू को अबतक न तो जमीन ही मिल पायी और न ही शिक्षक व कर्मियों को सही से प्रोन्नति ही मिली. पीजी और पीएचडी समेत कुलपति के कई बड़े दावों का अधूरा हाल भविष्य में विश्वविद्यालय की परेशानियों को बढ़ायेगा.
न सही से प्रोन्नति मिली, न ही जमीन
कुलपति के कार्यकाल के आखिरी समय में प्रोन्नति की प्रक्रिया सबसे अधिक चर्चा में रही. इस दौरान भले ही 80 शिक्षकों को प्रोन्नति मिल गयी हो, लेकिन 06 अगस्त को कुलाधिपति के पत्र में कुलपति द्वारा लिये गये निर्णयों की समीक्षा अब इसपर ग्रहण लगा सकती है. कई शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिल पाने के कारण खुद विश्वविद्यालय को शिक्षकों के आमरण अनशन को झेलना पड़ा. बावजूद मुंगेर विश्वविद्यालय के कई शिक्षक प्रोन्नति से वंचित ही रह गये. इधर, कुलपति के तीन साल पहले पदभार ग्रहण करने के बाद से ही विश्वविद्यालय के लिए जमीन का मामला सबसे अधिक चर्चा में रहा. अंत तक विश्वविद्यालय को न तो जमीन ही मिल पायी और न ही विश्वविद्यालय के लिए भवन का निर्माण आरंभ हो पाया.
बिना आखिरी सीनेट बैठक पूरा हो गया कार्यकाल
किसी भी कुलपति का कार्यकाल तीन साल का होता है और इस दौरान कुलपति को तीन सीनेट बैठक आयोजित करनी होती है. पर, कुलपति प्रो श्यामा राय के कार्यकाल का आखिरी साल बिना सीनेट बैठक के ही बीत गया. हालांकि एकेडमिट सीनेट 2023 में किया गया, लेकिन एमयू के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट के लिए सीनेट बैठक आखिरी समय में प्रोन्नति प्रक्रिया के कारण दब कर रह गया. इतना ही नहीं सीनेट व छात्र संघ चुनाव भी इनके कार्यकाल में नहीं हो पाया.
बिना सरकार की स्वीकृति के ही पीजी विभागों का संचालन
कुलपति के तीन साल के दावों में सबसे महत्वपूर्ण पीजी विभागों का आरंभ और पीएचडी की शुरूआत रही. पर, इन दोनों का अधूरा हाल भविष्य में खुद विश्वविद्यालय के लिए मुसीबत बन सकता है. बता दें कि एमयू में पिछले तीन साल से बिना सरकार से स्वीकृति के ही पीजी विभागों का संचालन हो रहा है. इसके कारण ही तीन सालों में भी एमयू को अपने 20 पीजी विभागों के लिए पद सृजन की स्वीकृति सरकार से नहीं मिल पायी है. अब ऐसे में इन विभागों में संचालित पीएचडी की हालत को खुद विश्वविद्यालय ही समझ सकता है. साल 2023 के नवंबर में स्वयं कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की अध्यक्षता में संपन्न एकेडमिक सीनेट बैठक में कुलपति द्वारा पीजी विभागों में तीन महापुरुषों के चेयर की स्थापना की बात कही गयी थी, जो नौ माह बाद भी अधूरी रह गयी.