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गंगा का जलस्तर घटने के बाद भी नहीं मिल रही राहत, महामारी की आशंका से परेशान है लोग

घर व आसपास के इलाके में फैले बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही अब सड़ांध व कीचड़ ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है.

प्रतिनिधि, मुंगेर. गंगा के जलस्तर में हो रही गिरावट के साथ ही शहर से लेकर गांव-घरों में फैले बाढ़ का पानी कम हाेने लगा है, लेकिन घर व आसपास के इलाके में फैले बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही अब सड़ांध व कीचड़ ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. इस कारण विस्थापित परिवार अब भी सुरक्षित स्थानों पर ही रह रहे हैं. जो बारिश खत्म होने के बाद गांव जाने के मूड में है. इधर, शहरी क्षेत्र में बाढ़ का पानी लौटने के बाद गड्ढों में फंसा हुआ है. जो महामारी की ओर इशारा कर रहा है.

बाढ़ का पानी निकलने के बाद भी आमलोग परेशान

बाढ़ का पानी शहर के अधिकांश हिस्सों से निकल चुका है, लेकिन शहरवासी व ग्रामीणों की परेशानी कम नहीं हुई है. क्योंकि बाढ़ का पानी निकलने के दौरान कई जगहों पर गड्ढों में पानी फंस गयी है. जिससे अब सड़ांध व बदबू निकल रही है. वहीं शहरी क्षेत्र के खेत वाले इलाके में घास-फूस, फसल के सड़ने से उससे उठ रही बदबू लोगों को परेशान कर रहा है. प्रभावित क्षेत्र के मुहल्लों व मार्ग में कीचड़ भरा पड़ा है. इस कारण लोग काफी परेशान है. बाढ़ प्रभावित शहरी क्षेत्र के लोगों ने कहा कि अगर गड्ढों से पानी नहीं निकाला गया और ब्लिंचिंग, चूना, एंटी लार्वा का छिड़काव नियमित नहीं किया गया तो कभी भी इन क्षेत्रों में महामारी फैल सकती है.

गांव व घरों की बनी है बदहाल स्थिति

बाढ़ का पानी काफी कम हो गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी बाढ़ का पानी फैला हुआ है. टीकारामपुर, जाफरनगर, कुतलुपुर सहित दियारा पार के गांवों की स्थिति यह है कि वहां पानी अब भी चारों ओर है. हालांकि ऊंचे स्थान पर जो घर हैं उससे पानी बाहर निकल गया है, लेकिन पानी से निकलने वाली बदबू लोगों को परेशान कर दिया. इस कारण वैसे लोग पुन: राहत शिविरों की ओर चले आये. आज भी हजारों की आबादी विस्थापित होकर इधर-उधर शरण ले रखे हैं. बाढ़ प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की मानें तो गांव जाना अभी भी मुश्किल है. क्योंकि चारों ओर पानी ही पानी है. घरों में कीचड़ है. पूरा का पूरा क्षेत्र बदबू कर रहा है. यह स्थिति घास-फूस, फसलों के सड़ने के बाद उत्पन्न हो रहा है. अभी ऐसी स्थिति नहीं हुई है कि हमलोग गांव जा सके. उनकी माने तो अभी भी 10-15 दिन लगेगा घर-गृहस्थी संभालने में.

पानी कम होने पर चंडिका स्थान की शुरू हुई सफाई

प्रसिद्ध शक्तिपीठ चंडिका स्थान बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गया था. गंगा के जलस्तर में कमी होने के बाद चंडिका स्थान के कुछ भागों से पानी पूरी तरह से हट गया है. जबकि माता चंडी के गर्भ गृह में अब भी बाढ़ का पानी है. चंडिका मंदिर के ऊपरी हिस्से से पानी निकल चुका है, लेकिन चारों ओर कीचड़ है. जिसकी सफाई शुक्रवार से शुरू कर दी गयी है. चंडिका स्थान न्यास समिति द्वारा कीचड़ को साफ कराया जा रहा है. पंडितों की माने तो गर्भ गृह में जो बाढ़ का पानी है उसे भी बाहर निकाल कर उसकी सफाई करायी जायेगी. क्योंकि 3 अक्तूबर से नवरात्रा शुरू होने वाली है. इस दौरान चंडिका स्थान में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते है. नवरात्रा शुरू होने से पहले मंदिर को पूरी तरह से श्रद्धालुओं के पूजा अर्चना के लिए तैयार कर लिया जायेगा.

कहते हैं अधिकारी

प्रभारी नगर आयुक्त कुमार अभिषेक ने बताया कि शहर के बाढ़ प्रभावित उन क्षेत्रों में लगातार ब्लिंचिंग का छिड़काव किया जा रहा है. जहां से पानी निकल चुका है. एंटी लार्वा के छिड़काव के साथ ही फॉगिंग भी लगातार करायी जा रही है. जब पूरी तरह से बाढ़ का पानी निकल जायेगा तो शहरी क्षेत्र के गड्ढों में फंसे पानी को पंपिंग सेट के सहारे बाहर निकाला जायेगा.

38.52 मीटर पर पहुंचा गंगा का जलस्तर

मुंगेर. गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. शुक्रवार की शाम गंगा का जलस्तर 38.52 मीटर पर पहुंच चुका था. जो डेंजर लेवल से 81 सेंटीमीटर नीचे और वार्निंग लेवल से मात्र 19 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. केंद्रीय जल आयोग की मानें तो प्रति घंटा दो से ढाई सेंटीमीटर के हिसाब से गंगा के जलस्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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