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घरों से पानी निकलने के बाद भी बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा नहीं हो रही कम

गंगा के जल स्तर में कमी आने के बाद बरियारपुर के कई इलाकों से पानी निकल चुकी है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा कम नहीं हुई है.

प्रतिनिधि, बरियारपुर. गंगा के जल स्तर में कमी आने के बाद बरियारपुर के कई इलाकों से पानी निकल चुकी है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा कम नहीं हुई है. अब पीड़ितों को गांव-गली के गड्ढों में जमा पानी व उसके उठ रहे सड़ांध से जीना मुश्किल हो गया है. यहां तक कि पीड़ित शुद्ध पानी का भी सेवन नहीं कर पा रहे हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिसका असर बाढ़ पीड़ितों के पैरों पर साफ दिखाई पड़ रहा है. बाढ़ का पानी ग्रामीण इलाकों में जहां-तहां जमा है और जहां से पानी निकल भी गया है तो वहां पानी पूरी तरह सूखा नहीं है. इस कारण कई लोग सर्दी-खांसी जैसी बीमारी से परेशान हैं. इतना ही नहीं पानी के जलजमाव से चापाकल का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है. पानी का रंग भी बदल गया है. मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ गया है. शाम होते ही लोगों का बैठना मुश्किल हो जाता है. बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव की गली व घरों के आसपास स्वच्छता के लिए किसी प्रकार का कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया गया है. मवेशी को लेकर मवेशी पालक अभी भी अपने घरों से दूर ऊंचे स्थान पर रह रहे हैं. क्योंकि घरों के आसपास तो जमीन सुखी भी नहीं है. मिट्टी अभी गिला है. जहां पर पशुओं को बांधना संभव नहीं है. बाढ़ पीड़ितों की मांग है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव के गलियों में दवाई का छिड़काव कराया जाये. इधर, मुंगेर विधायक प्रणव कुमार ने मुंगेर जिले में आयी भीषण बाढ़ को देखते हुए उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मुंगेर को बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की है.

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