पटना. नमामि गंगे परियोजना के तहत 4.9 किमी लंबे गंगा घाटों के साथ तैयार हुए तीन भवनों का उपयोग नगर निगम आज तक नहीं कर पाया है. करीब दो वर्ष पहले नगर निगम को मिली जिम्मेदारी के बाद कलेक्ट्रेट घाट पर बनाये गये गंगा म्यूजियम सह गंगा रिसर्च सेंटर, गांधी घाट पर बने ऑडियो-वीडियो थियेटर के लिए भवन और राजा घाट पर बने सांस्कृतिक केंद्र के भवन अब भी अपने उपयोग की बाट जोह रहे हैं.
कलेक्ट्रेट घाट के किनारे बने गंगा रिसर्च सेंटर के भवन की स्थिति ऐसी है कि भवन पर लगे शीशे करीब एक वर्ष से टूटे पड़े हैं. बाउंड्री के लिए बनायी गयी तार की जाली टूट गयी है और लोगों ने भवन के किनारे कपड़ा सुखाने का काम शुरू कर दिया है. अब लाखों की लागत से बने भवन न तो किसी उपयोग में लाये जा रहे हैं और न ही इससे नगर निगम को कोई आमदनी मिल रही है. बस समय गुजर रहा है और बिल्डिंग की स्थिति खराब हो रही है.
दरअसल, नमामि गंगे योजना के तहत लगभग 336 करोड़ की लागत से तैयार किये गये रिवर फ्रंट के तहत ही तीन भवन बनाये गये थे. बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास लिमिटेड की ओर से इन प्रोजेक्ट को तैयार किया गया था. इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री ने किया था.
प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इसकी जिम्मेदारी नगर निगम को दे दी गयी. मगर, इन भवनों के उपयोग करने और गंगा से जुड़े अन्य कार्य करने का काम अब तक नगर निगम नहीं कर पाया है. घाटों की साफ सफाई के लिए निगम के एक टीम तैनात है और भवनों की सुरक्षा के लिए प्राइवेट कंपनी के गार्ड तैनात हैं. मगर, स्थिति ऐसी है कि आये दिन गार्ड बदल जाते हैं और सुरक्षा की कोई निश्चित जवाबदेही नहीं बन पाती.
नगर निगम की पीआरओ हर्षिता ने बताया कि राजाघाट पर बने सांस्कृतिक भवन में ड्रामा स्कूल बनाया जायेगा. नगर निगम की स्थायी समिति ने इसकी स्वीकृति दी है. मगर, कलेक्ट्रेट घाट पर बने गंगा रिसर्च के लिए फिलहाल कोई प्लान नहीं है. वहीं, जानकार बताते हैं कि वर्ष 2019 की फरवरी में भवनों की जिम्मेदारी नगर निगम को मिलने पर तात्कालिक नगर आयुक्त ने गंगा रिसर्च सेंटर खोलने की कवायद शुरू कर दी थी.
Posted by Ashish Jha