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मुजफ्फरपुर में 60 लाख की साइबर ठगी, पुलिस ने डेढ़ दर्जन अपराधियों को किया गिरफ्तार 

Bihar Cyber Crime : मुजफ्फरपुर में साइबर अपराधी नकली पुलिस पदाधिकारी व सीबीआइ ऑफिसर बनकर पढ़े लिखे लोगों को डिजिटली हाउस अरेस्ट कर ले रहे हैं. उनको बेटा, बेटी, भतीजा, पोता समेत करीबी रिश्तेदारों के साथ दुष्कर्म, ड्रग्स और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण गिरफ्तार होने की बात कह डरा-धमका कर लाखों रुपये की ठगी कर ली है.

Bihar Cyber Crime : मुजफ्फरपुर में साइबर अपराधी नकली पुलिस पदाधिकारी व सीबीआइ ऑफिसर बनकर पढ़े लिखे लोगों को डिजिटली हाउस अरेस्ट कर ले रहे हैं. उनको बेटा, बेटी, भतीजा, पोता समेत करीबी रिश्तेदारों के साथ दुष्कर्म, ड्रग्स और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण गिरफ्तार होने की बात कह डरा-धमका कर लाखों रुपये की ठगी कर ली है.

200 से अधिक हाउस अरेस्ट किया

शहर के बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, शिक्षक ,सरकारी कर्मचारी, ठेकेदार व व्यवसायी को भी साइबर अपराधियों ने डिजिटली अरेस्ट करके ठगी करने की कोशिश की है. जिले में फरवरी-मार्च माह में डिजिटली अरेस्ट करके काजीमोहम्मदपुर थाना क्षेत्र की एक महिला से 50 हजार रुपये का साइबर अपराधियों ने फ्रॉड कर लिया था. इसके बाद से अगले पांच महीने में साइबर अपराधियों ने जिले में 200 से अधिक लोगों को डिजिटली हाउस अरेस्ट कर लिया. उनसे करीब 60 लाख रुपये का फ्रॉड कर लिया.

60 से अधिक केस दर्ज

साइबर, शहरी थाना समेत 20 से अधिक थानों में 60 से अधिक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. कई पीड़ित नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत करने के बाद थाने में मामला दर्ज नहीं करवाया. साइबर थाने की पुलिस ने पुलिस बनकर ठगी करने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई भी की इस दौरान पश्चिमी चंपारण जिले के मझौलिया थाना क्षेत्र में छापेमारी करके आधा दर्जन साइबर अपराधियों को पकड़ा गया. इसके अलावा कमरा मोहल्ला,सिवाईपट्टी थाना क्षेत्र व दरभंगा से भी एक दर्जन से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है. हाल के दिनों में जिले में सीबीआइ अधिकारी बनकर डिजिटली हाउस अरेस्ट करके फ्रॉड का नया मामला प्रचलन में है. इस गिरोह को ट्रेस करने में साइबर थाने की पुलिस जुटी हुई है.

क्या है डिजिटल हाउस अरेस्ट

डिजिटल हाउस अरेस्ट में साइबर अपराधी पीड़ितों को धोखा देने के लिए उनको नकली पुलिस स्टेशन, नकली पुलिस पदाधिकारी और नकली सीबीआइ ऑफिसर बनकर ऑडियो व वीडियो कॉल करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से जनरेटर आवाज से पीड़ितों को डराते- धमकाते हैं. उनको कहा जाता है कि आपका बेटा रेप या ड्रग्स केस में पकड़ाया है. उसको छोड़वाना है तो रुपये देना होगा. डराने के लिए पिटाई जैसी आवाज फोन कॉल पर सुनाई देती है. ऐसे में पीड़ित डर जाता है और साइबर अपराधी के बताये यूपीआइ आइडी पर रुपये भेज देता है.

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इस तरह के झांसा से रहें सावधान

बेटा के लड़की के रेप केस में पकड़ने, बेटी को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार होने, नौकरी दिलाने, शादी कराने, निवेश और सत्यापन कराने से लेकर पार्सल आने, लॉटरी निकलने, पार्सल में ड्रग्स, देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने का कागजात के साथ आधार कार्ड व सिम कार्ड पकड़ाने का मैसेज आये तो रहें सावधान

इस तरह से साइबर अपराधी करते हैं ठगी


– कुरियर पैकेट में मिले सिम, कागजात, आधार कार्ड का दुरुपयोग करते हैं.

– मनी लांड्रिंग, टेररिस्ट कन्वर्जन में आपके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते हैं
– पुलिस स्टेशन के सेटअप दिखाकर वीडियो कॉल करके डराते हैं

– पूछताछ के नाम पर वेबकैम, स्काइप, मोबाइल से वीडियो कॉल करके आमने- सामने बैठाकर रखते हैं.
– डराने वाली ट्रिक से ठग आम लोगों को हाउस अरेस्ट कर लेते हैं.

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए पुलिस की यह है सलाह

1.किसी भी अनजान कॉल से सतर्क रहें, जांच एजेंसियों के नाम पर आने वाले कॉल से बात न करें
2.जमानत के नाम पर डरकर अपना ओटीपी अनजान को शेयर न करें

3. किसी भी अनजान के खाते या यीपीआइ अकाउंट में रुपये जमा न करें
4. साइबर अपराधियों के कहने पर कोई भी एप डाउनलोड न करें

5.डिजिटल अरेस्ट के झांसे में आने पर साइबर अपराधी रोजाना व्हाट्सएप नंबर पर हाजिरी लगवाते हैं. इस तरह के कोई फोन आये नजदीकी थाने को सूचना दे
6. साइबर फ्रॉड का शिकार होने पर 1930 पर तुरंत कॉल करें या फिर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं

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