Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिला में शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंद पुरुष व महिला बंदियों को हुनर व हौसले की उड़ान को पंख दिया जा रहा है. सेंट्रल जेल से बाहर निकलने के बाद उनको फिर से अपराध की रास्ते पर ना जाना पड़े इसके लिए उनको तकनीकी रूप से दक्ष बनाया जा रा है. उनको एनजीओ (NGO) के माध्यम से वोकेशनल कोर्स कराया जा रहा है.
रोजगार के लिए विभाग की ओर से लोन की भी सुविधा
महिला बंदी सबसे अधिक ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग लेने में दिलचस्पी दिखा रही है. वहीं, पुरुष बंदियों का बकरी पालन का प्रशिक्षण लेने में झुकाव बढ़ा है. एक जनवरी से एक नवंबर 2024 तक सेंट्रल जेल में 275 बंदियों को अलग- अलग कोर्स की ट्रेनिंग दी गयी है. ये बंदी जेल से बाहर निकलने के बाद अपने पैरों पर खड़े होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपना जीवन यापन करेंगे. रोजगार करने के लिए उनको विभाग की ओर से लोन भी मुहैया करायी जाएगी.
जेल में बंदियों को कौशल प्रशिक्षण का ट्रेनिंग दी जा रही है
सेंट्रल जेल के अधीक्षक ब्रिजेश सिंह मेहता ने बताया कि जेल में बंदियों को कौशल प्रशिक्षण का ट्रेनिंग दिया जा रहा है. इसमें पुरुष बंदियों को बकरी पालन, मधुमक्खी पालन, गौ पालन, मुर्गी पालन, इलेक्ट्रिशियन, पलंबर, बैग व मोमबत्ती बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. महिला बंदियों को सुजनी कढ़ाई, ब्यूटीशियन, अगरबत्ती, मोमबत्ती, मिथिला पेंटिंग और कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस साल अब तक पुरुष व महिला 275 बंदियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है. इनमें से कई बंदी जेल से बाहर निकलने के बाद अपना रोजगार भी शुरू कर चुके हैं.
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इन कोर्स में बंदियों ने प्रशिक्षण किया
- प्राप्तबकरी पालन – 67
- गौ पालन – 30
- सुजनी कढ़ाई- 32
- मुर्गी पालन – 35
- इलेक्ट्रीशियन – 31
- ब्यूटीशियन – 30
- कंप्यूटर – 50
मानसिक शांति को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग का प्रशिक्षणसेंट्रल जेल में आवासित बंदियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उनको आर्ट ऑफ लिविंग की कला सिखायी जाती है. बंदियों को योग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा समय- समय पर उनके बीच में वाद- विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है.