मुजफ्फरपुर छात्र संघ के लिए स्नातक और पीजी के छात्रों से अब साल में दो बार फीस ली जा रही है, लेकिन, पिछले छह साल से चुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है. 35 साल के लंबे अंतराल के बाद विश्वविद्यालय और अंगीभूत कॉलेजों में वर्ष 2018 में छात्रसंघ का चुनाव हुआ था. फरवरी- मार्च में चुनाव हुआ और उसी साल जुलाई में कार्यकाल पूरा हो गया. इसके बाद छात्र संगठन लगातार मांग करते रहे.
लेकिन, सत्र नियमित करने का दबाव तो कभी अन्य कारण बताकर चुनाव टलता गया. बता दें कि उस समय भी विश्वविद्यालय के अधिकारी से लेकर कॉलेजों के प्राचार्य तक चुनाव कराने के मूड में नहीं थे. नवंबर 2017 में राजभवन ने चुनाव कराने आदेश दिया, जिसके बाद भी दो महीने तक टाल-मटोल होती रही. जनवरी में राजभवन ने स्पष्ट कर दिया कि हर हाल में चुनाव कराना है, जिसके बाद आनन-फानन में तैयारी करके फरवरी में कॉलेजों में चुनाव कराया गया और मार्च में विश्वविद्यालय में. डीएसडब्ल्यू प्रो अभय कुमार सिंह का कहना है कि नामांकन व परीक्षा का सत्र नियमित करने का दबाव था, जिसके कारण चुनाव पर निर्णय नहीं हो सका.
करोड़पति हो गया बिहार विवि का छात्रसंघ कोष
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का छात्रसंघ कोष करोड़पति हो गया है. पांच साल से चुनाव नहीं हुआ. लेकिन, हर साल कोष में स्टूडेंट यूनियन फीस की वसूली हो रही है. हर साल स्नातक और पीजी के ढाई लाख से अधिक छात्र-छात्राओं से शुल्क लिया जाता है. पिछले साल यानी सत्र 2023-24 में स्नातक में सर्वाधिक 1.48 लाख विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है. स्टूडेंट यूनियन द्वारा फीस के रूप में 100 रुपये नामांकन के समय ही लिये जाते हैं.
स्टूडेंट्स वेलफेयर और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी फीस
स्नातक-पीजी में नामांकन करने वाले छात्रों को स्टूडेंट्स वेलफेयर व पर्यावरण संरक्षण के लिए भी शुल्क देना होता है. 10 रुपये स्टूडेंट वेलफेयर, 10 रुपये पुअर स्टूडेंट फंड, 50 रुपये सोसाइटी सब्सक्रिप्शन और 20 रुपये एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन फी लिया जाता है. इसके साथ ही लाइब्रेरी मेंटेनेंस के लिए 100 रुपये और बिल्डिंग मेंटेनेंस के लिए 100 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है.
सीनेट में भी होता है छात्रसंघ के पदाधिकारियों का प्रतिनिधित्व : डॉ हरेंद्र
विश्वविद्यालय छात्रसंघ 1983 के महामंत्री रहे डॉ हरेंद्र कुमार का कहना है कि सीनेट में भी छात्रसंघ के पदाधिकारियों का प्रतिनिधित्व होता है. चार दशकों से उनका प्रतिनिधित्व नहीं है. छात्रसंघ चुनाव से अच्छे प्रतिनिधि चुनकर आयेंगे, तो छात्रों के हित में काम होगा. विश्वविद्यालय के निकायों में भी तब छात्रों से जुड़ी बातें आसानी से रखी जा सकेंगी. विश्वविद्यालय के पदाधिकारी भी नहीं चाहते कि छात्रसंघ का चुनाव कराया जाये. बहाना बनाकर चुनाव टाला जा रहा है.
छात्र हित में होगा काम, छात्रों को मिलेगा बेहतर माहौल: बसंत
विश्वविद्यालय छात्रसंघ 2018 के अध्यक्ष रहे बसंत कुमार का कहना है कि छात्रसंघ का गठन होने के बाद कॉलेज से विश्वविद्यालय तक छात्र हित में काम होगा. इसके साथ ही छात्रों को भी बेहतर माहौल मिल सकेगा. अभी तमाम संगठन काम कर रहे हैं. लेकिन, उनसे छात्रों का सीधा जुड़ाव नहीं हो पा रहा है. छात्रों की बात सुननेवाला कोई नहीं है. समय से छात्रसंघ चुनाव कराना चाहिए, ताकि निर्वाचित पदाधिकारियों को पूरे साल काम करने का मौका भी मिले.