BRABU News: सर, स्नातक सत्र 2020-23 के तृतीय वर्ष की परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सभी उत्तर पर सही का चिह्न लगा है, लेकिन अंक आधे मिले हैं. वस्तुनिष्ठ प्रश्न का यदि उत्तर सही है तो पूरे अंक मिलने चाहिए. आरटीआइ से कॉपी निकलवाने के बाद से इस समस्या को लेकर चक्कर लगा रही हूं. कोई सुनने वाला नहीं है. यह शिकायत रक्सौल के केसीटीसी की छात्रा रही प्रज्ञा ने सोमवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में छात्र-छात्राओं की समस्याओं के निदान के लिए आयोजित छात्र संवाद के दौरान की.
छात्रा ने संवाद की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ बीएस राय से कहा कि वस्तुनिष्ठ प्रश्न का उत्तर या तो सही होगा या गलत. जब परीक्षक ने सही का निशान लगा दिया है तो अंक पूरे क्यों नहीं दिये गये. इसपर कुलानुशासक ने आश्वासन दिया कि परीक्षा विभाग को कहा गया है कि कॉपी को देखे. यदि पूरे अंक नहीं मिले हैं तो इसपर संज्ञान लिया जाएगा. ऑब्जेक्टिव के जितने उत्तर सही हाेंगे, उसके पूरे अंक दिये जाएंगे.
विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित दूसरे छात्र संवाद में कुल 11 छात्र-छात्राएं शिकायत लेकर पहुंचे. मौके पर ही दो समस्याओं का समाधान कर दिया गया. कुलानुशासक प्रो.राय ने बताया कि पिछली सोमवार को आयोजित छात्र संवाद के दौरान 13 छात्रों ने शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें से 12 आवेदनों का निदान हो गया है. संबंधित छात्र-छात्राओं को इसकी सूचना दे दी गई है. संवाद के दौरान डीएसडब्ल्यू प्रो.अभय कुमार सिंह के साथ ही परीक्षा विभाग के कर्मचारी मौजूद थे.
कोई डिग्री के लिए लगा रहा चक्कर तो किसी को अंकपत्र के लिए इंतजार
छात्र संवाद के दौरान शिकायत लेकर पहुंचे छात्र-छात्राओं ने डिग्री और अंकपत्र के लिए चक्कर काटने, पेंडिंग परिणाम में सुधार के लिए कई बार आवेदन देने के बाद भी सुधार नहीं होने की शिकायत की. आरएसएस साइंस काॅलेज सीतामढ़ी की छात्रा ज्याेति कुमारी ने बताया कि वह सत्र 2019-22 में स्नातक उत्तीर्ण हुई, लेकिन अब तक उसे अंकपत्र नहीं मिला. कॉलेज से कहा जा रहा है कि अंकपत्र विश्वविद्यालय ने नहीं भेजा.
एसएनएस काॅलेज की समृद्धि स्नातक सत्र 2022-25 की छात्रा है. उसने बताया कि परिणाम आने के काफी दिन बाद भी अब तक अंकपत्र नहीं मिला है. टीपी वर्मा काॅलेज नरकटियागंज के छात्र कन्हैया कुशवाहा ने बताया कि वे परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, लेकिन अबतक द्वितीय वर्ष का अंक नहीं जोड़ा गया. इस कारण उनका परिणाम पेंडिंग है. अनमाेल कुमार ने डिग्री के लिए आवेदन किया. कई महीने बीत जाने के बाद भी अबतक डिग्री नहीं मिली.
खेलकर लौटी टीम पर पैसे के लिए अबतक इंतजार
विश्वविद्यालय में स्पोर्ट्स विभाग की स्थिति लचर रही है. कई खेल प्रतियोगिताओं में अपने पैसा लगाकर शामिल होने के बाद खिलाड़ी पैसे के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. छात्र संवाद के दौरान हाॅकी खिलाड़ी विकास कुमार ने स्पाेर्ट्स काउंसिल की अनदेखी की शिकायत की. कहा कि हाॅकी टीम को विश्वविद्यालय से काेई सहयाेग नहीं मिला. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया था कि खिलाड़ी अपने खर्च पर जाएं. बाद में उनके खर्च का भुगतान किया जाएगा. लाैटने के बाद से अबतक भुगतान के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है.
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